अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है संसद: राहुल गांधी
विपक्ष ने लोकार्पण समारोह के बहिष्कार का लिया निर्णय, सरकार पर राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने का लगाया आरोप
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) संसद के नए भवन का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को लोकार्पण करेंगे। इस बीच लोकार्पण समारोह को लेकर विवाद बढ़ता जा रहे है। विपक्षी दलों ने नई संसद के उद्घाटन में राष्ट्रपति को न बुलाये जाने की बात कहते हुए समारोह के बहिष्कार की बात कही है। विपक्ष ने सरकार पर राष्ट्रपति पद की गरिमा को ठेस पहुंचाने का आरोप भी लगाया है।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सबसे पहले पीएम मोदी द्वारा संसद के उद्घाटन को लेकर सवाल उठाया था। उन्होंने कहा था कि संसद के नए भवन का लोकार्पण राष्ट्रपति द्वारा किया जाना चाहिए न कि प्रधानमंत्री द्वारा। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कई विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल समारोह के बहिष्कार की बात कही है।
अब राहुल गांधी ने बुधवार को फिर इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरा है। उन्होंने लिखा कि राष्ट्रपति से संसद का उद्घाटन न करवाना और न ही उन्हें समारोह में बुलाना – यह देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद का अपमान है। संसद अहंकार की ईंटों से नहीं, संवैधानिक मूल्यों से बनती है।
कांग्रेस के अलावा उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, आप, राकांपा, भाकपा, माकपा, एआईएमआईएम, राजद और जदयू ने भी समारोह के बहिष्कार का निर्णय लिया है। बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी और तमिलनाडु की डीएमके भी लोकार्पण समारोह में शामिल नहीं होगी। वहीं मायावती की बसपा और आंध्र प्रदेश की सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के इस समारोह में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। बीजद ने इस मामले में कोई फैसला नहीं लिया है।
गौरतलब है कि नए संसद भवन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को आधारशिला रखी थी। इसका निर्माण 15 जनवरी 2021 को शुरू हुआ था। भवन को पिछले साल नवंबर में पूरा हो जाना था। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बना ये भवन प्रधानमंत्री मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जाता है। इसे 28 महीने में बनाया गया और इसे पर करीब 862 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।