किसानों की गणतंत्र परेड : पुलिस तय करेगी, किसान शहर में प्रवेश करेंगे या नहीं
Sangam Dubey
Supreme Court
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का विरोध प्रदर्शन 55वें दिन भी जारी है। किसान संगठनों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर मार्च निकालने का ऐलान किया है। वहीं सोमवार को दिल्ली पुलिस की याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह दिल्ली पुलिस को तय करना है कि किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति दी जाए या नहीं।
शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे पर निर्णय लेने का अधिकार दिल्ली पुलिस का है ना कि सुप्रीम कोर्ट का। इस पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि, सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है, अच्छी बात है कानून व्यवस्था पुलिस को देखनी चाहिए। वहीं हम कह चुके हैं कि आउटर रिंग रोड पर परेड करेंगे, पुलिस आए बात करे और रास्ता दे।
टिकैत ने आगे कहा कि, गणतंत्र दिवस मनाने से देश के नागरिक को पुलिस रोक नहीं सकती। हम झगड़ा करने थोड़े ही जा रहे हैं। हम दिल्ली में गण का उत्सव मनाएंगे, पहले हम इसे खेत और गांव में मनाते थे। क्योंकि हम दिल्ली में हैं तो दिल्ली में ही मनाएंगे। उन्होंने आगे कहा, हम देखना चाहेंगे कि हम देश प्रेमी हैं या हमें रोकने वाले देश के गद्दार।
ट्रैक्टर मार्च पर रोक लगाने को लेकर दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। दिल्ली पुलिस ने इसके लिए कानून-व्यवस्था का हवाला दिया था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में प्रवेश का सवाल कानून-व्यवस्था का विषय है और दिल्ली में कौन आएगा या नहीं, इसे दिल्ली पुलिस को तय करना है। प्रशासन को क्या करना है और क्या नहीं करना है, यह कोर्ट नहीं तय करेगा।
हालांकि किसान संगठनों की तरफ से साफ कर दिया गया है कि, 26 जनवरी की परेड आउटर रिंग रोड पर होगी। परेड में वाहनों में झांकियां शामिल होंगी जो ऐतिहासिक क्षेत्रीय और अन्य आंदोलनों के प्रदर्शन के अलावा विभिन्न राज्यों की कृषि वास्तविकता को दशार्एंगी।
किसान वाहनों पर भारत के राष्ट्रीय ध्वज को फहराएंगे और इसमें किसान संगठन के झंडे भी होंगे। वहीं किसी भी राजनीतिक पार्टी के झंडे को अनुमति नहीं दी जाएगी। परेड में आंदोलन के शहीद किसानों के परिवारों, रक्षा सेवा कर्मियों, सम्मानित खिलाड़ियों, महिला किसानों आदि की भागीदारी होगी। परेड में कई राज्यों का प्रतिनिधित्व होने की उम्मीद जताई जा रही है।
गणतंत्र दिवस पर जो किसान परेड में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली नहीं आ सकते, वे अनुशासन और शांति के साथ समान मानदंडों के साथ राज्य की राजधानियों और जिला मुख्यालयों पर परेड का आयोजन करेंगे।