एयर इंडिया : 1953 में सरकार ने टाटा से खरीदी, 2021 में सरकार ने टाटा को बेची
टाटा ग्रुप एयर इंडिया का नया मालिक होगा। मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) टाटा ग्रुप एयर इंडिया का नया मालिक होगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टाटा संस ने घाटे में चल रही सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए बोली जीत ली है। मंत्रियों के एक पैनल ने एयरलाइन के अधिग्रहण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। जल्द ही इसकी आधिकरिक आधिकारिक घोषणा हो सकती है। मौजूदा समय में एयर इंडिया 4400 घरेलू उड़ानें और विदेशों में 1800 लैंडिंग और पार्किंग स्लॉट को कंट्रोल करती है।
एयर इंडिया के लिए टाटा ग्रुप और स्पाइसजेट के अजय सिंह ने बोली लगाई थी। बताया जा रहा है कि एयर इंडिया का रिजर्व प्राइस 15 से 20 हजार करोड़ रुपए तय किया गया था और टाटा ग्रुप ने स्पाइस जेट के अजय सिंह से करीब 3 हजार करोड़ रुपए ज्यादा की बोली लगाई थी। जिसे स्वीकार कर लिया है। हालाँकि इसकी पुष्टि होना है।
एयर इंडिया के मार्च 2021 को समाप्त तिमाही में 9500 से 10000 करोड़ रुपये के घाटे में रहने की आशंका है। 31 मार्च 2019 तक कंपनी पर 60074 करोड़ रुपये का कर्ज था। कंपनी के मार्च 2021 को समाप्त तिमाही में 9500 से 10000 करोड़ रुपये के घाटे में रहने की आशंका है। बड़ी बात यह है कि एयर इंडिया खरीदने वाली कंपनी को कर्ज के 23,286.5 करोड़ रुपये ही चुकाने होंगे। शेष कर्ज को एयर इंडिया एसेट होल्डिंग्स लिमिटेड को ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इसका मतलब साफ़ ही कि एयर इंडिया का बाकी का कर्ज खुद सरकार उठाएगी।
एयर इंडिया के बिकने पर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं-
सरकार ने एयर इंडिया को बेचने की प्रक्रिया जनवरी 2020 में ही शुरू कर दी गई थी, लेकिन कोरोना के कारण इसमें देरी हुई। अप्रैल 2021 में सरकार ने एक बार फिर योग्य कंपनियों से बोली लगाने को कहा। 15 सितंबर बोली लगाने का आखिरी दिन था। 31 मार्च 2020 तक एयर इंडिया की कुल फिक्स्ड प्रॉपर्टी करीब 45,863.27 करोड़ है। इसमें एयर इंडिया की जमीन, बिल्डिंग्स, एयरक्राफ्ट फ्लीट और इंजन शामिल हैं।
गौरतलब है कि साल 1932 में जेआरडी टाटा ने टाटा एयरलाइंस की स्थापना की थी। इसके बाद 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस का नाम बदलकर एयर इंडिया लिमिटेड कर दिया गया था। आजादी के बाद 1947 में एयर इंडिया की 49 फीसदी भागीदारी सरकार ने ले ली थी और इसके बाद 1953 में भारत सरकार ने एयर कॉरपोरेशन एक्ट पास किया और टाटा से इस कंपनी में बहुलांश हिस्सेदारी खरीद ली।