राष्ट्रपति कार्यालय ने इंडिया टुडे को पत्र लिख क्यों जताई कड़ी आपत्ति?
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार सिंह ने इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ अरूण पुरी को पत्र लिख नाराजगी जाहिर की है।
Ashok Chaturvedi
राष्ट्रपति भवन
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) राष्ट्रपति भवन में नेताजी सुभाषचंद्र बोस के चित्र के अनावरण पर हुआ विवाद तूल पकड़ता जा रहा रहा है। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव अजय कुमार सिंह ने इस संबंध में इंडिया टुडे ग्रुप के चेयरमैन और एडिटर इन चीफ अरूण पुरी को पत्र लिख नाराजगी जाहिर की है। पत्र में इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार राजदीप सरदेसाई की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं।
राष्ट्रपति के प्रेस सचिव ने लिखा कि राष्ट्रपति भवन को अनावश्यक विवाद में लाया गया। इसमें इंडिया टुडे ग्रुप के पत्रकार भी शामिल हैं। इस कृत्य का उद्देश्य अस्पष्ट है। इससे बचा भी जा सकता था।
दरअसल नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125 वी जयंती के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति भवन में उनके चित्र का अनावरण राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। राजदीप सरदेसाई समेत कुछ अन्य मीडियाकर्मियों ने यह ट्वीट किया था कि यह तस्वीर नेताजी सुभाषचंद्र बोस की न होकर अभिनेता प्रसन्नजीत चटर्जी की है। प्रसन्नजीत चटर्जी ने एक फिल्म नेताजी की भूमिका निभाई थी।
पत्र में शिकायती लहजे में लिखा गया कि दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि कुछ सीनियर पत्रकारों जिनमे आपके ग्रुप के राजदीप सरदेसाई भी शामिल हैं ने भ्रामक तथ्य प्रचारित करने से पहले इसकी पुष्टि तक नहीं की। न तो नेताजी के परिवार से संपर्क किया गया और न ही अभिनेता प्रसन्नजीत के परिवार से।
ऐसा कर उन लोगों का साथ दिया गया जो राजनीतिक लाभ के लिए किसी भी स्तर तक चले जाते हैं। साथ ही राष्ट्रपति भवन की गरिमा को सवालों के घेरे में लाया गया। पत्रकारीय आचरण पर सवाल उठाते हुए पत्र में लिखा गया कि झूठ सामने आने पर इन पत्रकारों ने बस ट्वीट ही डिलीट किए जबकि माफी नहीं मांगी। यह अक्षम्य है।
इस आाचरण के कारण राष्ट्रपति भवन और इंडिया टुडे ग्रुप के बीच के इंगेजमेंट पर पुनर्विचार तक किया जा सकता है। राष्ट्रपति के प्रेस सचिव के पत्र में इस बात का साफ उल्लेख किया गया है।
इससे पहले राजदीप सरदेसाई समेत कुछ अन्य पत्रकारों पर किसान आंदोलन के दौरान भ्रामक समाचारों से हिंसा फैलाने का केस भी दर्ज किये गए हैं।