खाद्य तेल: जानिए क्यों बढ़ रही कीमतें, कब तक मिलेगी राहत?

जनवरी के अंत तक खाद्य तेलों की कीमतों में 20 से 30 रुपए प्रति लीटर तक का इजाफा हो सकता है।

भोपाल ( जोशहोश डेस्क) पेट्रोल और डीजल के दाम तो आसमान छू ही रहे हैं अब खाद्य तेलों की कीमतों में भी जबर्दस्त उछाल आ चुका है। खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों से रसोई का बजट गड़बड़ा गया है। सोयाबीन तेल के दाम 125 से 130 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गए हैं। वहीं मूंगफली तेल भी 175 रुपए लीटर तक बिकने लगा है। माना जा रहा है कि जनवरी के अंत तक खाद्य तेलों की कीमतों में 20 से 30 रुपए प्रति लीटर तक का इजाफा हो सकता है।

क्यों बढ़ रहे दाम

खाद्य तेलों के कम उत्पादन के कारण खाद्य तेलों के लिए हम आयात पर निर्भर हैं। कृषि मंत्रालय के अनुसार देश में खाद्य तेल की सालाना खपत करीब 255 लाख टन है जबकि उत्पादन सिर्फ 105 लाख टन। ऐसे में कुल खपत का 60 प्रतिशत हिस्सा आयात किया जाता है। यहां तक कि भारत खाद्य तेल के मामले में दुनिया का सबसे बड़ा आयातक है।

तीन देशों पर निर्भरता

भारत मुख्यतः तीन देशों इंडोनेशिया, मलेशिया और अर्जेंटीना से तेल आयात करता तीनों ही देशों में अलग-अलग परिस्थितियों के चलते इस बार उत्पादन प्रभावित हुआ है जिसका सीधा असर भारतीय बाजार और रसोई तक दिखाई देने लगा है।

अगर बात अर्जेंटीना की हो तो यहां गर्म मौसम होने की वजह से बुवाई में देरी हुई है। इसके अलावा अर्जेंटीना में मजदूरों की हड़ताल के कारण सोया तेल के दाम में 100 डॉलर प्रति टन की तेजी आई है।

वहीं मलेशिया में कोरोना के कारण विदेशी मजदूरों के नहीं पहुंचने से इस बार पाम ऑयल का उत्पादन प्रभावित हुआ है। जिसका सीधा असर भारत के तेल बाजार पर भी पड़ा है। वहीं इंडोनेशिया में भी कमोबेश यही हालात हैं।

राहत के आसार नहीं
एक्सपर्ट के मुताबिक इस बार देश में खरीफ सीजन में सोयाबीन का उत्पादन भी उम्मीदों के अनुसार नहीं रहा। रबी सीजन की मुख्य तिलहनी फसल सरसों की बुवाई में भी बहुत ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। कोविड की स्थिति में अपेक्षित सुधार न होने से आयात करने वाले देशों से भी बहुत अच्छी खबर नहीं है। ऐसे में बढती कीमतों से जल्द राहत के आसार नहीं है।

लॉकडाउन से घटा आयात

खाद्य तेल उद्योग के प्रमुख संगठन साल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के मुताबिक वर्ष 2019-20 में वनस्पति तेल आयात 13 फीसद घटकर 1.31 करोड़ टन रहा था। बीते वर्ष यह आंकड़ा 1.49 करोड़ टन था। इसका प्रमुख कारण लॉकडाउन के चलते होटल, रेस्टोरेंट और कैफेटेरिया का बंद रहना माना जा रहा है। इसके चलते खाद्य तेलों का आयात पिछले छह सालों में सबसे कम रहा था।

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