प्रधानमंत्री को अपने ‘मित्रों’ की आवाज़ के अलावा कुछ सुनाई नहीं देता
राहुल गांधी ने भी ‘अग्निपथ’ योजना के विरोध के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति और नियत पर सवाल उठाये
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) केंद्र सरकार द्वारा घोषित सेना में शार्ट टर्म भर्ती की ‘अग्निपथ’ योजना का विरोध लगातार उग्र होता जा रहा है। मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों के साथ ही पूर्व सैन्य अधिकारी भी योजना पर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी ‘अग्निपथ’ योजना के विरोध के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीति और नियत पर सवाल उठाये हैं।
राहुल गांधी ने शुक्रवार को ट्वीट किया कि अग्निपथ – नौजवानों ने नकारा, कृषि कानून – किसानों ने नकारा, नोटबंदी – अर्थशास्त्रियों ने नकारा, GST – व्यापारियों ने नकारा। देश की जनता क्या चाहती है, ये बात प्रधानमंत्री नहीं समझते क्यूंकि उन्हें अपने ‘मित्रों’ की आवाज़ के अलावा कुछ सुनाई नहीं देता।
राहुल गांधी ने इस एक ट्वीट से मोदी सरकार के बड़े दावों पर एक साथ सवाल उठा दिए। इससे पहले सरकार ने कृषि कानूनों को लेकर भी सख्ती दिखाई थी लेकिन उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अचानक प्रधानमंत्री ने कृषि कानूनों को वापस ले लिया था।
दूसरी ओर सेना में भर्ती के लिए केंद्र सरकार द्वारा घोषित की गई ‘अग्निपथ’ योजना के विरोध की आग थमती नज़र नहीं आ रही है। योजना के विरोध में शुक्रवार सुबह से फिर प्रदर्शन शुरू हो गए। बिहार में प्रदर्शनकारियों ने 6 ट्रेन में आग लगा दी। कई स्थानों पर रेलवे ट्रैक और सड़क जाम है। डिप्टी सीएम रेणु देवी के सरकारी आवास पर पथराव की खबर है। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर भी 4 बसों में तोड़फोड़ की गई है।
इससे पहले गुरुवार को ‘अग्निपथ’ योजना के विरोध के आग अब मध्यप्रदेश भी पहुँच गई। ग्वालियर में विरोध पर कर रहे युवकों पर पुलिसकर्मी ने आंसू गैस के गोले छोड़े। ग्वालियर में विरोध करने वाले बिरला नगर रेलवे स्टेशन में घुसे और तोड़ फोड़ कर ट्रेन का ट्रेक अवरुद्ध करने का प्रयास किया। विरोध पर रेलवे स्टेशन में घुसने को उतारू युवकों पर पुलिसकर्मी ने आंसू गैस के गोले छोड़ कर खदेड़ा गया।
अभ्यर्थी केंद्र सरकार की ‘अग्निपथ योजना’ को तत्काल वापस लेने की मांग कर रहे हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि वे केवल चार साल के लिए नौकरी के लिए तो सालों से तैयारी नहीं कर रहे हैं। साथ ही अभ्यर्थियों का विरोध इस बात पर भी है कि अब सेना में जितनी भी भर्तियां होंगी, वो अग्निपथ स्कीम के तहत ही होंगी। पुराने मेडिकल या फिजकल टेस्ट को नहीं माना जाएगा। भर्ती के लिए युवाओं को अग्निपथ स्कीम के तहत ही अप्लाई करना होगा।
दूसरी ओर सेना के रिटायर्ड अधिकारी भी इस योजना पर सवाल उठा रहे हैं। लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा ने भी एक इंटरव्यू में कहा है कि योजना में ट्रेनिंग की अवधि केवल 6 महीने जो सेना की दक्षता को देखते हुए काफी कम है। साथ ही केवल 4 साल की नौकरी के लिए जवान जोखिम लेना भी काम कर सकता है साथ ही उसका मोटिवेशनल लेवल भी नियमित सैनिकों से काम हो सकता है।