नई दिल्ली/भोपाल (जोशहोश डेस्क) आज नहीं तो कल सच्चाई की जीत होती है। मुझे अपना लक्ष्य पता है, मैं जानता हूं मुझे क्या करना है। जिन्होंने हमारी मदद की और जनता ने जो प्यार और समर्थन दिया, उसके लिए सभी का धन्यवाद। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने यह बात मोदी सरनेम केस में मिली सजा पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाने के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कही।
मोदी सरनेम केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी संविधान, लोकतंत्र और जीत बताया है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। आज बहुत ही खुशी का दिन है। लोकतंत्र की जीत हुई है, संविधान की जीत हुई है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने साथ ही सवाल उठाया कि राहुल गांधी जी को डिसक्वालीफाई करने में सिर्फ 24 घंटे लगाए गए थे, अब देखना है कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद उन्हें रीइन्स्टेट कब किया जाता है। साथ ही खड़गे ने कहा कि मोदी सरकार को शायद अब उनके किये का पछतावा भी हो।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे राहुल गांधी का कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से स्वागत किया। भोपाल में भी प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में पटाखे चलाये गए और मिठाई बांटी गई। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि माननीय न्यायालय के इस फैसले से न्यायपालिका के प्रति देश की जनता का सम्मान और भरोसा दोनों बढ़ेंगे। मुझे पूरा भरोसा है कि अंतिम फैसला भी राहुल गांधी के पक्ष में आएगा और देश में लोकतंत्र मजबूत होगा।
गौरतलब है कि मोदी सरनेम केस में सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल की सजा पर न सिर्फ रोक लगाई है बल्कि यह सवाल भी किया कि इस मामले में अधिकतम सजा क्यों दी गई? सुप्रीम कोर्ट में करीब 3 घंटे बहस चली। इसके बाद केस की सुनवाई कर रही जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और संजय कुमार की बेंच ने पूछा कि इस मामले में अधिकतम सजा क्यों? कहा- उन्हें कम सजा भी दी जा सकती थी। वे डिसक्वालिफाई नहीं होते। सजा 1 साल 11 महीने हो सकती थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रायल जज ने मामले में अधिकतम सजा सुनाई है, लेकिन इसकी वजह नहीं बताई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहुल गांधी का बयान आपत्तिजनक है, लेकिन निचली अदालत ने कारण नहीं बताया और न ही गुजरात हाई कोर्ट ने इस पर विचार किया।
इससे पहले राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने दलीलें देते हुए कहा कि शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी का असली सरनेम मोदी नहीं है। उन्होंने ये सरनेम बाद में अपनाया है। उन्होंने कहा कि मानहानि केस के चलते राहुल गांधी को 8 साल के लिए चुप करा दिया गया? लोकतंत्र में मतभेद होते हैं। मुझे नहीं लगता कि राहुल गांधी की नीयत किसी को मोदी सरनेम वाले सभी लोगों को नीचा दिखाने की थी। यह गंभीर अपराध नहीं है, जमानत दिए जाने वाला केस है। ये ऐसा मामला कैसे बन गया, जिसमें नैतिक पतन शामिल हो?
यह था मामला
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था , ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’ इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। 23 मार्च को निचली अदालत ने राहुल को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई थी। इसके अगले ही दिन राहुल की लोकसभा सदस्यता चली गई थी। राहुल की अपना सरकारी घर भी खाली करना पड़ा था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को राहुल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था।