पेगासस: रवीश का सवाल, क्या ये ऐतिहासिक फ़ैसला हिंदी अख़बारों में विस्तार से छपेगा?
पत्रकार रवीश कुमार ने इस फैसले को 'द वायर' की पत्रकारिता और पत्रकारिता की चाह रखने वालों की ऐतिहासिक जीत बताया है।
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) पेगासस स्वाइवेयर से जासूसी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिए एसआईटी गठित करने का फैसला लिया है। अब तीन सदस्यीय एसआईटी इस मामले की जांच कर आठ सप्ताह में रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को सौंपेगी। इस फैसले को लेकर सोशल मीडिया पर भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।
जाने माने पत्रकार रवीश कुमार ने इस फैसले को ‘द वायर’ की पत्रकारिता और पत्रकारिता की चाह रखने वालों की ऐतिहासिक जीत बताया है। साथ ही रवीश ने सवाल उठाया कि साथ ही सवाल उठाया है कि जस्टिस रमना की बेंच का यह ऐतिहासिक फ़ैसला क्या हिन्दी अख़बारों में विस्तार से छपेगा?
द वायर की पत्रकार रोहिणी सिंह ने इस फैसले पर लिखा कि हमें पूरी उम्मीद है सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित SIT की जाँच सरकारों के लिए एक नजीर बनेगी। राष्ट्रवाद की ढाल हर बार आपकी बेशर्मी नहीं छिपा सकती-
रिटायर्ड आईएएस सूर्यप्रताप सिंह ने इस फैसले को लेकर द वायर और पत्रकार रोहिणी सिंह को बधाई दी है-
गौरतलब है कि चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि विवेकहीन जासूसी मंजूर नहीं की जा सकती। किसी की निजता का उल्लंघन नहीं होनी चाहिए। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने पेगासस मामले को लेकर कहा कि निजता के हर आक्रमण को तार्किकता और संवैधानिक आवश्यकता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने यह भी कहा कि वैधानिक कानून के बिना इस तरह के आक्रमण की अनुमति नहीं दी जा सकती। जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सबसे ऊंचा है। उनमें संतुलन भी जरूरी है। तकनीक पर आपत्ति सबूतों के आधार पर होनी चाहिए। इसके साथ ही चीफ जस्टिस ने कहा कि प्रेस की आजादी पर कोई असर नहीं होना चाहिए।