क्या सत्ता के लिए नया प्रपंच है संघ प्रमुख मोहन भागवत का ‘पंडितों’ पर निशाना?
सुर्खियों में संघ प्रमुख मोहन भागवत का पंडितों पर दिया बयान, सफाई के बाद भी तूल पकड़ता जा रहा बयान
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) जातीय जनगणना की मांग और रामचरित मानस को लेकर चल रहे विवाद के बीच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत का पंडितों पर दिया बयान खासी सुर्खियों में है। भागवत के बयान का राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर तीखा विरोध शुरू हो चुका है, वहीं संघ की सफाई के बाद भी भागवत का बयान तूल पकड़ता जा रहा है। सोशल मीडिया पर तो भागवत के बयान को सत्ता के लिए संघ-भाजपा का नया प्रपंच तक बताया जा रहा है।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान को सत्ता की नई रणनीति तक बताया जा रहा है। लोकसभा चुनावों की दृष्टि से बेहद अहम उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान और मध्यप्रदेश समेत हिंदी भाषी राज्यों में जातीय समीकरणों की राजनीति को देखते हुए भागवत के बयान को भाजपा की भविष्य की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।
यह कहा जाने लहगा है कि मुसलमानों और ईसाईयों के बाद अब पंडित यानी स्वर्ण समाज टारगेट पर है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” का सियासी लाभ अब आरएसएस/भाजपा को दिखाई देने लगा है। यही कारण है कि मुस्लिमों की तर्ज़ पर ब्राह्मण समाज को अलग थलग कर पिछड़े वर्ग को लामबंद कर सत्ता की राह तैयार की जा रही है।
रामचरित मानस विवाद से सुर्ख़ियों में चल रहे सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने भागवत के बयान पर कहा कि यदि यह बयान मजबूरी का नहीं है तो साहस दिखाते हुए केंद्र सरकार को कहकर, रामचरितमानस से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर नीच, अधम कहने तथा महिलाओं, आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों को प्रताड़ित, अपमानित करने वाली टिप्पणियों को हटवायें। मात्र बयान देकर लीपापोती करने से बात बनने वाली नही है।
सोशल मीडिया पर यह भी कहा जा रहा है कि लम्बे वक़्त से ब्राह्मण समाज को राइट विंग की नफरती पॉलिटिक्स का मोहरा बनाया जा रहा-
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मुंबई के एक कार्यक्रम में कहा था कि सत्य ही ईश्वर है। सत्य कहता है कि मैं सर्वभूति हूं, रूप कुछ भी रहे योग्यता एक है, ऊंच-नीच नहीं है, शास्त्रों के आधार पर कुछ पंडित जो बताते हैं, वो झूठ है। जाति की श्रेष्ठता की कल्पना में ऊंच-नीच में अटक कर हम गुमराह हो गए, भ्रम दूर करना है।
बयान में कहे ‘पंडित’ शब्द को लेकर तीखे विरोध के विरोध के बाद संघ ने भागवत के बयान पर सफाई भी दी है। संघ नेता सुनील आंबेकर ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि मोहन भागवत ने ‘पंडित’ का उल्लेख किया, जिसका अर्थ है ‘विद्वान’। आंबेडकर मुताबिक़ भागवत का आशय विद्वानों से था जिसे पंडितों से जोड़कर गलत अर्थों में पेश किया जा रहा है।