संयुक्त किसान मोर्चा का ऐलान, 23 फरवरी को मनाएंगे ‘पगड़ी संभाल’ दिवस
Sangam Dubey
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) सयुंक्त किसान मोर्चा आने वाली 23 फरवरी को ‘पगड़ी संभाल दिवस’ मनाने के लिए आह्वान किया है। शहीद भगत सिंह के चाचा एवं ‘पगड़ी संभाल’ आंदोलन के संस्थापक ‘चाचा अजीत सिंह’ की याद में किसानों के आत्मसम्मान में इस दिन को मनाया जाएगा। किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ किसान दिल्ली के चारों तरफ आन्दोलन कर रहे है।
संयुक्त किसान मोर्चा के अनुसार, साप्ताहिक झांग सियाल के संपादक बांके दयाल द्वारा लिखित यह गीत ‘पगड़ी सम्भाल’ ब्रिटिश राज के 1906 के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन का अग्रदूत था। जो आन्दोलन चाचा अजीत सिंह ने उस व़क्त चलाया था, उसकी परछाई इस किसान आंदोलन में भी झलकती है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने सभी किसानों से अपील करते हुए कहा कि “ट्रैक्टरों और अन्य वाहनों पर चाचा अजीत सिंह के पोस्टर- बैनर लगाकर इस कार्यक्रम में भाग लें।”
तत्कालीन पाकिस्तान के ल्यालपुर में एक झांग स्याल नाम का साप्ताहिक अखबार प्रकाशित होता था। बांके दयाल उसके संपादक थे किसानों की रैली में बांके दयाल ने अजीत सिंह और किशन सिंह के साथ मिल ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ गीत गाया था। सरदारों के लिए पगड़ी बेहद गर्व का की बात थी ऐसे में ये गीत हर जुबान पर चढ़ गया और पंजाबियों की अस्मिता का प्रतीक बन गया। बाद में आंदोलन का नाम ही ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ पड़ गया।
‘पगड़ी संभाल जट्टा’ आंदोलन के जनक अजीत सिंह ने योजनाबद्ध तरीके से इसकी अगुआई की। लाला लाजपत राय जैसे बड़े नेता भी आंदोलन में शामिल हो गए। अंग्रेजी हुकूमत से परेशान आम लोग भी साथ आते गए। इसका असर भी दिखा। ब्रिटिश हुकूमत ने लाला लाजपत राय और अजीत सिंह को जेल भेज दिया लेकिन उसे किसानो के आगे झुकते हुए कानून में बदलाव करने पड़े।
इसके बाद आंदोलन के मुख्य चेहरे यानी अजीत सिंह को लगभग 40 सालों के लिए देश से निकाला दे दिया गया। इस दौरान अजीत सिंह ईरान,यूरोप और लैटिन अमेरिका में रहे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अजीत सिह इटली में नेताजी सुभाष चंद्र बोस से भी जुड़ गए और आजादी के लिए संघंर्ष करते रहे। वे आजादी मिलने से कुछ पहले ही भारत लौटे। अपनी मात्रभूमि को आजाद देखने के साथ ही यानी 15 अगस्त 1947 को उनका निधन हुआ।