यह मप्र में मालवा का पठार है…दूर कहीं अलसाया हुआ सूरज आंखें मलते हुए अभी उगने की सोच ही रहा है…आसमान में चंद तारे रतजगा करके घर रवाना होने की जुगत में हैं। हल्की हल्की सर्द हवा अपने साथ लाल मिट्टी की सौंधी गंध लेकर चली आ रही है। नए नवेले जिले आगर मालवा के महूड़िया गांव के पास भोर की उजास से पहले हजारों तिरंगे फहरा रहे हैं। हर पगडंडी, हर रास्ते से ‘जोड़ो जोड़ो भारत जोड़ो…’ के नारे लगाते हुए हरहराती हुई भीड़ का सैलाब बढ़ा चला आ रहा है।
आज़ादी से पहले अंग्रेजी सेना की छावनी रहा यह इलाका सवेरा होने तक जन छावनी बन चुका है। आगर मालवा आज़ादी के बाद मध्य भारत राज्य में जिला था। मध्य प्रदेश बनने पर यह जिला नहीं रहा और फिर 2013 में इसे फिर से जिला बनाया गया है। यह जानना भी दिलचस्प है कि रियासत काल में आगर मालवा क्षेत्र ग्वालियर के सिंधिया राजवंश के अधीन था।
ये दृश्य राहुल गांधी नाम के ‘मनुष्य’ की भारत जोड़ो यात्रा के शुरू होने से पहले का है। यह यात्रा एक राजनेता से ज्यादा एक मनुष्य की जिजीविषा की यात्रा है। जैसा कि राहुल गांधी ने खुद कहा है कि वे राहुल गांधी को पीछे छोड़ आए हैं, सचमुच इस यात्रा के हर कदम के बाद पहले वाले राहुल को ढूंढना मुश्किल होता जा रहा है।
सबसे पहले भारत जोड़ो यात्रा के संयोजक दिग्विजय सिंह मोटे रस्से वाली D में पहुंचते हैं। कमलनाथ भी कुछ देर बाद साथ आ जाते हैं। राहुल गांधी के आने से पहले ही भीड़ बेकाबू हुई जा रही है.. सीआरपीएफ से लेकर स्थानीय पुलिस व्यवस्था बनाने में मशक्कत कर रही है। अभी अंधेरा पूरी तरह छटा भी नहीं है कि राहुल गांधी तेज कदमों से अपने सुरक्षा घेरे में चलना शुरू करते हैं।
पूरे रास्ते में दोनों तरफ़ कांग्रेस कार्यकर्ता, आम लोग स्वागत करते चलते हैं। हजारों लोगों का हुजूम साथ साथ, आगे पीछे लगभग दौड़ते हुए चलता जा रहा है।सड़क किनारे से राहुल…राहुल की आवाजें शोर बनकर उठती रहती हैं। राहुल पल भर रुक कर कभी कभी किसी से हाथ मिला लेते हैं तो कभी सुरक्षा कर्मी जबरन घुसने वालों को धकिया देते हैं।
तीन दिसंबर का दिन दिव्यांगों के लिए विशेष तौर पर आरक्षित रखा गया था। बहुत बड़ी संख्या में व्हील चेयर पर और अलग अलग सहारे से दिव्यांग राहुल से मिलने आए। राहुल गर्मजोशी से सबसे मिलते हैं।
रास्ते में दो जगह वेद मंत्रों के साथ दर्जनों पंडितों और वेद विद्यार्थियों ने राहुल का स्वागत किया। पद यात्रा में राहुल को साधु, महात्माओं का संग साथ भी मिला।चलते चलते राहुल उनसे धर्म, आध्यात्म, दर्शन, वेद, पुराण सब पर शास्त्रार्थ जैसा करते जाते हैं। कई बार उनके प्रश्नों पर बाबाओं को निरुत्तर होते देखा गया। पत्रकार, सिविल सोसायटी के लोग भी बारी बारी से राहुल के साथ चलने को बुलाए जाते हैं।
बारह दिन से मप्र में चल रहे राहुल अपनी ही पार्टी के विधायकों, पूर्व मंत्रियों से ठीक से नहीं मिल पाए थे। यह शिकायत नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह ने कमलनाथ और दिग्विजय सिंह से की। तब टी ब्रेक और शाम को यात्रा के विश्राम के समय दो खेप में इन सबको राहुल के साथ चर्चा का मौका मिला। शाम को पार्टी नेताओं के साथ चर्चा के बीच ठहाकों की गूंज सुनाई देती रही।यात्रा जब शाम को अपने विश्राम स्थल तक पहुंचती है तब तक इस गुनगुनी सर्दी में भी सब धूल, पसीने से तरबतर हो चुके होते हैं।
इस दृश्य को देख कर बरबस ही हरिवंशराय बच्चन के शब्द याद आ जाते हैं..
यह महान दृश्य है,
चल रहा मनुष्य है,
अश्रु स्वेद रक्त से,
लथपथ लथपथ लथपथ,
अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।
सबसे जायदा भव-बाधाएं मप्र में फिर भी सफल
भारत जोड़ो यात्रा आज 4 दिसंबर को राजस्थान में दाखिल हो रही है। सितंबर में कन्याकुमारी से शुरू हुई यात्रा को सबसे ज्यादा चुनौती मप्र में ही थी। यहां पंद्रह महीने छोड़कर बीजेपी की सरकार को बीस साल होने वाले हैं। यात्रा में विध्न बाधाओं के लिए भाजपा और शिवराज सरकार ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। सबसे पहली कोशिश तो यही थी कि राहुल के मप्र में रहते समय कोई बड़ा दल बदल करवाया जाए।
यह कोशिश नाकाम रही..एक भी विधायक नहीं टूटा। ले देकर एक अदने से मीडिया प्रभारी को तोड़ कर भाजपा खुश होती रही। इंदौर,उज्जैन में सरकार के इशारे पर स्थानीय प्रशासन ने यात्रा के बैनर, होर्डिंग उतरवा कर हल्केपन का नजारा पेश किया। महाकाल मंदिर में राहुल के आने से पहले फोटो खींचने पर पाबंदी का ऐलान किया गया।
यात्रा जितने दिन मप्र में रही पूरी सरकार,पार्टी इसे देशद्रोहियों का जमघट बताने पर आमादा रही लेकिन यह राग भी अनसुना रहा। बुरहानपुर से लेकर अंतिम छोर सुसनेर तक लाखों लोग यात्रा में शामिल हुए और अब यात्रा मप्र से निर्विघ्न विदा हो रही है। मप्र में हमेशा ही खेमों में बंटी रही कांग्रेस भी शुरू से आख़िर तक न केवल एकजुट दिखी बल्कि साबित भी हुई।
मप्र की धरती से ‘गद्दारों’ को कठोर संदेश…
भारत जोड़ो यात्रा के मप्र से गुजरते हुए कांग्रेस पार्टी ने एक बड़ा संदेश देने के लिए भी मप्र की धरती को ही चुना है। ये संदेश है आड़े वक्त में पार्टी छोड़कर जाने वालों को। यहां राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खुलकर कहा जो पैसे से बिक गए उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता। जयराम रमेश ने तो ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम लेकर उन्हें 24 कैरेट गद्दार कह दिया। साफ़ कह दिया गया कि ऐसे गद्दारों के लिए पार्टी के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हैं।
याद रहे कि मप्र ही वह राज्य है जहां राहुल गांधी के अभिन्न मित्र सिंधिया ने दलबदल करके कांग्रेस की सरकार गिरा दी थी। राहुल और कांग्रेस ने सिंधिया सहित देश भर के पार्टी नेताओं को संकेत, संदेश पहुंचा दिया है कि अब ये राहुल की कांग्रेस है यहां गद्दारों के लिए वापसी की कोई राह नहीं है। यह संदेश भी दिया है कपिल सिब्बल की तरह पार्टी छोड़ने के बाद भी गरिमा बनाए रखने वालों के लिए दरवाजे में एक झिरी बनी रहेगी।
(डॉ राकेश पाठक वरिष्ठ पत्रकार और कर्मवीर न्यूज़ के प्रधान संपादक हैं।)