क्या घोटाला नहीं महाघोटाला है 5-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी?
5-G स्पेक्ट्रम की बेस प्राइस सरकार ने ही 4.3 लाख करोड़ रखी थी लेकिन सरकार को नीलामी से महज़ 1.5 लाख करोड़ ही मिले
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) देश में पहली बार हो रही 5-जी स्पेक्ट्रम की नीलामी समाप्त हो चुकी है। नीलामी के दौरान 72098 Mhz में से 51236 Mhz स्पेक्ट्रम यानी नीलामी में रखे गए कुल स्पेक्ट्रम में से 71% स्पेक्ट्रम बिक चुके हैं। नीलामी के दौरान कंपनियों ने कुल 1,50,173 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाई है। इस नीलामी को लेकर बड़े सवाल उठ रहे हैं।
बड़ी बात यह है कि 5-G स्पेक्ट्रम की बेस प्राइस सरकार ने ही 4.3 लाख करोड़ रखी थी लेकिन सरकार को नीलामी से महज़ 1.5 लाख करोड़ ही मिले। इसके बाद विपक्ष के साथ सोशल मीडिया पर भी इस नीलामी को लेकर संदेह जताया जा रहा है, साथ ही दस साल पहले 2G स्पेक्ट्रम को लेकर हुए प्रोपेगेंडा को याद कर पूर्व नियन्त्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) विनोद राय पर भी तीखे आक्षेप लग रहे हैं।
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इस नीलामी पर सवाल उठाया-
राष्ट्रीय जनता दल ने इस पूरी नीलामी पर सवाल उठाया और कहा
सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया दिख रही है-
गौरतलब है कि दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने नीलामी प्रक्रिया पूरी होने की जानकारी देते हुए कहा है कि देश में पहली बार हो रही 5जी स्पेक्ट्रम बिक चुके हैं। स्पेक्ट्रम की नीलामी के दौरान कंपनियों ने कुल 1,50,173 करोड़ रुपये के स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाई है। दूरसंचार मंत्री के मुताबिक स्पेक्ट्रम नीलामी में सबसे अधिक बोली मुकेश अम्बानी की रिलायंस जियो इंफोकॉम ने लगाईं है। रिलायंस ने कुल 24,740Mhz स्पेक्ट्रम की खरीदारी की है।
दूरसंचार की दुनिया की दुनिया में पहली बार कदम रख रही अदाणी डेटा नेटवर्क्स ने भी 26Ghz एयरवेव स्पेक्ट्रम के लिए बोली लगाकर 400Mhz स्पेक्ट्रम की खरीदारी की है। देश में पहली बार 5जी स्पेक्ट्रम की नीलामी बीते 26 जुलाई को शुरू हुई थी।