अहंकार हारा-किसान जीता, फैसला किसान हितैषी नहीं चुनावी
सोशल मीडिया पर कृषि कानूनों की वापसी को बताया जा रहा किसानों की जीत और अहंकार की हार। चुनावी नफा नुकसान का भी हो रहा आंकलन।
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) तीखी धूप- मूसलाधार पानी और कड़ाके की ठंड के बाद भी एक साल अनवरत चले आंदोलन और 700 से ज्यादा किसानों की मौत के बाद आखिरकार मोदी सरकार ने तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को सुबह राष्ट्र के नाम संबोधन में यह ऐलान किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के साथ ही सोशल मीडिया पर इस फैसले को किसानों की जीत और अहंकार की हार बताया जा रहा है। साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि चुनाव में होने वाले संभावित नुकसान को देखते हुए सरकार को इस ऐलान के लिए बाध्य होना पड़ा।
वहीं एक वर्ग कृषि कानूनों को लेकर फैलाए गए भ्रम को इस निर्णय का कारण बता रहा है और यह कहा जा रहा है कुछ किसानों की हठधर्मिता से कृषि क्षेत्र का बड़ा नुकसान हो गया।
इस निर्णय पर सोशल मीडिया में आई प्रतिक्रियाएं-
गौरतलब है कि शुक्रवार सुबह अचानक प्रधानमंत्री ने राष्ट्र को संबोधित किया और कहा कि आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर देशवासियों से माफी भी मांगी। उन्होंने कहा कि साथियों, मैं देशवासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रह गई होगी जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्य, कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। पीएम ने कहा कि चूंकि सरकार हर प्रयास के बावजूद किसानों को समझा नहीं पाई, इसलिए कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया गया है।