महाराष्ट्र में शिंदे गुट को सुप्रीम झटका, दिल्ली के अधिकार पर भी केंद्र की किरकिरी
फैसलों को माना जा रहा केंद्र सरकार और महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार चला रहे एकनाथ शिंदे गुट के लिए बड़ा झटका
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली और महाराष्ट्र को लेकर बड़े फैसले सुनाये। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में राज्यपाल और स्पीकर की भूमिका पर सवाल उठाते हुए शिंदे गुट को बड़ा झटका दिया। वहीं दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच विवाद पर भी सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार का दिल्ली पर अधिकार बताया।
सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव बनाम शिंदे की शिवसेना का मामले को 7 जजों की बेंच को सौंप दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर विधायक सरकार से बाहर होना चाहते हैं तो वो केवल एक गुट बना सकते हैं। पार्टी के भीतरी झगड़े सुलझाने के लिए फ्लोर टेस्ट का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। राज्यपाल से विधायकों की बातचीत में कहीं भी इस बात का संकेत नहीं था, जिसमें असंतुष्ट विधायकों ने कहा हो कि वह सरकार से समर्थन लेना चाहते हैं। राज्यपाल ने शिवसेना के एक गुट के विधायकों की बात पर भरोसा करके गलती कि उद्धव ठाकरे के पास विधायकों का बहुमत नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उद्धव ठाकरे के फ्लोर टेस्ट का सामना नहीं किया। उन्होंने इस्तीफा दिया था, ऐसे में कोर्ट इस्तीफे को रद्द तो नहीं कर सकता और पुरानी सरकार को बहाल नहीं कर सकता है। स्पीकर की भूमिका पर भी सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि स्पीकर को यह जरूर पता होना चाहिए कि राजनीतिक पार्टी ने किसे व्हिप चुना है। स्पीकर ने शिंदे गुट वाले गोडावले को व्हिप नियुक्त किया, यह फैसला गैरकानूनी था।
वहीं दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार की वही शक्तियां हैं, जो दिल्ली विधानसभा को मिली हैं। दिल्ली सरकार को सर्विसेज पर विधायी और कार्यकारी अधिकार है। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार को ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार है और LG चुनी गई सरकार की सलाह पर प्रशासन चलाएंगे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम 2019 में जस्टिस अशोक भूषण के फैसले से सहमत नहीं है। जस्टिस भूषण ने 2019 में पूरी तरह केंद्र के पक्ष में फैसला दिया था।
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान पीठ- CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने फैसला सुनाया। इससे पहले कोर्ट ने 18 जनवरी को फैसला सुरक्षित रख लिया था। पांच जजों की संवैधानिक बेंच को यह मामला 6 मई 2022 को रेफर किया गया था।
इन दोनों फैसलों को केंद्र सरकार और महाराष्ट्र में भाजपा के साथ गठबंधन की सरकार चला रहे एकनाथ शिंदे गुट को बड़ा झटका माना जा रहा है। आप सांसद राघव चड्डा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सत्य की जीत बताया है। वहीं शिवसेना उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कहा कि यह देश के लोकतंत्र और महाराष्ट्र को दिशा देने वाला है।