चुनावी लोकतंत्र से चुनावी निरंकुशता की तरफ बढ़ रहा भारत: CCE रिपोर्ट
Sangam Dubey
भोपाल (जोशहोश डेस्क) भारत एक लोकतांत्रिक देश है लेकिन सवाल यह है कि क्या भारत में चुनाव पूरी तरह से स्वतंत्र और निष्पक्ष हैं? सिटीजन कमीशन ऑन इलेक्शन (CCE) द्वारा हाल ही में जारी की गयी रिपोर्ट में भारत में होने वाले चुनावों की निष्पक्षता और भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) की भूमिका पर सवाल उठाए गए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक भारत चुनावी लोकतंत्र से चुनावी निरंकुशता की तरफ बढ़ रहा है।
ऐसे समय में जब भारतीय लोकतंत्र अपने गिरते स्तर के चलते राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित कर रहा हो, तो देश की चुनाव प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठते हैं। सिटीजन कमीशन ऑन इलेक्शन (CCE) पहले भी भारत में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रणाली की खामियों पर एक व्यापक रिपोर्ट पेश कर चुका है। अब सिटीजन कमीशन ऑन इलेक्शन (CCE) ने दूसरी रिपोर्ट जारी की है। जोकि भारत में होने वाले चुनावों की स्वतंत्र और निष्पक्षता पर केंद्रित है।
सिटीजन कमीशन ऑन इलेक्शन (CCE) में जस्टिस मदन लोकुर के अलावा वरिष्ठ अकादमिक अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रतिष्ठित पत्रकार शामिल हैं।
धन के उपयोग में बढ़ोत्तरी
CCE ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चुनावों में लगातार धन का उपयोग बढ़ते जा रहा है। 2019 में राजनीतिक पार्टियों द्वारा 60,000 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। यानी हर सीट में 110 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।
सांसदों पर दर्ज क्रिमिनल केस की संख्या में इजाफा
यदि हम सांसदों के ऊपर दर्ज क्रिमिनल केस को देखें तो उनमें भी पिछले 10 सालों में बढ़ोत्तरी हुई है। 2009 में 162 सांसदों पर क्रिमिनल केस दर्ज थे, 2014 में 185 और 2019 में यह संख्या बढ़ कर 233 हो गई है। इसका मतलब यह हुआ कि 2009 के मुकाबले 2019 में 109 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
ECI ने मीडिया द्वारा उल्लंघनों की अनदेखी की
रिपोर्ट में कहा गया है कि ईसीआई ने कई मीडिया संस्थानों द्वारा किए गए उल्लंघनों पर ध्यान नहीं दिया है। सबसे ज्यादा उल्लंघन, नमो टीवी नामक एक नए चैनल का उद्घाटन था जो लगातार पीएम के बारे में भाषणों और घटनाओं का प्रसारण करता है। नमो टीवी के पास I & B मंत्रालय से ऑन एयर जाने की अनुमति नहीं थी और एक नए चैनल को शुरू करने के लिए उसने आवश्यक नियमों का पालन नहीं किया था।
रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया कि ECI 2019 चुनावों से पहले और उसके दौरान फर्जी खबरों पर ऑनलाइन अंकुश लगाने में विफल रहा है।
चुनावों में सबसे ज्यादा खर्च भाजपा करती है
रिपोर्ट में कहा गया कि ईसीआई और भारतीय रिजर्व बैंक के विरोध के बावजूद चुनावी बांड पेश किए। जिससे सत्तारूढ़ दल को भारी लाभ मिला है।
सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज (CMS) के अनुसार – संसद चुनाव – 2019 पर कुल खर्च 60,000 करोड़ रुपये का अनुमान है। जिसमें से 27,000 करोड़ रुपए बीजेपी ने खर्च किए हैं यानी कुल खर्च का 45 प्रतिशत भाजपा ने खर्च किए हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि ईसीआई की निष्पक्षता से समझौता करना न केवल चुनाव, बल्कि लोकतंत्र की निष्पक्षता और अखंडता पर भी गंभीर खतरा है