टॉप वायरोलाॅजिस्ट डॉ. शाहिद जमील ने क्यों दिया इस्तीफा?
हाल ही में न्यूयाॅर्क टाइम्स में लिखे एक आर्टिकल को भी उनके इस्तीफे से जोड़ा जा रहा है।
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) देश में गहराए कोरोना संकट के बीच सीनियर वायरोलाॅजिस्ट (विषाणु वैज्ञानिक) डॉ. शाहिद जमील का इस्तीफा सुर्खियों में हैं। भारत के सार्स-कोविड जीनोम कंसोर्शियम (INSACOG) के वैज्ञानिक सलाहकार मंडल के चीफ डॉ. शाहिद जमील अधिकारियों के रवैए से व्यथित बताए जा रहे हैं। वहीं हाल ही में न्यूयाॅर्क टाइम्स में लिखे एक आर्टिकल को भी उनके इस्तीफे से जोड़ा जा रहा है।
न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे एक आर्टिकल में डॉ. जमील ने भारत के कोविड मैनेजमेंट में आ रही समस्याों पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा था कि भारत में कम टेस्टिंग, धीमी रफ्तार से वैक्सीनेशन और वैक्सीन की कमी कोरोना नियंत्रण में बड़ी समस्याएँ हैं। उन्होंने लिखा था कि भारत में वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर पॉलिसी बनाने को लेकर अधिकारियों के अड़ियल रवैये का सामना कर रहे हैं।
डॉ. शाहिद जमील ने अपने आर्टिकल में यह भी लिखा था कि डाटा के आधार पर फैसला न लेना एक और आपदा है, क्योंकि भारत में महामारी नियंत्रण से बाहर हो गई है। हम जो जानें गंवा रहे हैं, वो कभी न मिटने वाला जख्म का निशान दे जाएगी।
समय से पहले ही दावे की आलोचना
डॉ. शाहिद जमील ने बीते सप्ताह एक इवेंट में कोविड-19 वायरस के दूसरे लहर के रूप में प्रसार को रोकने में सरकार के प्रयासों की आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि सरकारी अधिकारियों ने समय से पहले यह मानने में गलती की थी कि जनवरी में महामारी खत्म हो गई थी, और कई अस्थायी सुविधाओं को बंद कर दिया गया, जो पिछले महीनों में स्थापित की गई थीं।
वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक डॉ. जमील ने मार्च में ही यह चेतावनी दे दी थी कि भारत में नया और ज्यादा संक्रामक वायरस फैल रहा है। उनकी बात सही भी हुई। B.1.617 वैरिएंट की वजह से ही देश कोरोना की सबसे बुरी लहर से गुजर रहा है। इस वेरिएंट से बचाव को लेकर सरकार की कार्यप्रणाली पर डॉ. जमील ने कहा था कि हमें यह चिंता है कि अधिकारियों ने पॉलिसी सेट कर ली है और इसी के चलते वो सबूतों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।