दो दिन न जाएं बैंक, जानिए दस लाख कर्मचारी-अधिकारी क्यों हैं हड़ताल पर ?
दो बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में 15 और 16 मार्च को देशव्यापी हड़ताल में 12 सरकारी बैंकों के करीब दस लाख कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं।
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोश होश डेस्क) देश के करीब दस लाख सरकारी बैंक कर्मचारी और अधिकारी आज से दो दिन की हड़ताल पर हैं। बैंक कर्मचारियों के शीर्ष संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (UFBU) की इस हड़ताल को देश की अन्य 84 कर्मचारी और मजदूर यूनियन का भी समर्थन हैं। दो बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण के विरोध में 15 और 16 मार्च को देशव्यापी हड़ताल में 12 सरकारी बैंकों के करीब दस लाख कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं।
सोमवार और मंगलवार को देशभर में बैकिंग सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। हड़ताल के कारण जमा और निकासी, चेक क्लीयरेंस और ऋण स्वीकृति जैसी सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। बैंकों के एटीएम हड़ताल के दौरान यथावत संचालित रहेंगे।
बैंक कर्मचारी इससे पहले भी 19 फरवरी, 2021 को एक दिन का विरोध प्रदर्शन भी कर चुके हैं। इंडियन बैंक ऑफिसर्स फेडरेशन (आईबीओएफ) ने जारी पोस्टर में कहा है कि सार्वजनिक क्षेत्र के 10 लाख बैंक कर्मचारी बैंकों के निजीकरण और रेट्रोग्रेड बैंकिंग रिफॉर्म (retrograde banking reforms) का विरोध करते हैं। यूएफबीयू बैंकिंग सेक्टर की नौ बड़ी यूनियन का संगठन है।
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में ऐलान किया था कि सरकार ने इस साल दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के निजीकरण का फैसला किया है। सरकार इससे पहले आईडीबीआई बैंक में अपनी ज्यादातर हिस्सेदारी भारतीय जीवन बीमा निगम को बेच चुकी है। पिछले चार साल में सार्वजनिक क्षेत्र के 14 बैंकों का विलय किया जा चुका है। अब दो सरकारी क्षेत्र की बैंकों के प्रस्तावित निजीकरण का बैंक कर्मचारी लगातार विरोध कर रहे हैं।
यूएफबीयू के मुताबिक हमारी हड़ताल प्रस्तावित निजीकरण के खिलाफ है। सरकार लाभ देने वाली सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों (PSB) और पीएसयू (सार्वजिनक उपक्रम) को लगातार बेचती जा रही है। इससे नमें काम करने वाले लाखों कर्मचारियों का ही नहीं देश का भी नुकसान है। बैंकों का सरकारीकरण ही इसलिए किया गया था कि सभी तक आसानी से सुविधाएं पहुंचे। अभी देश में करीब 42 करोड़ जनधन खाते हैं जिसमें से सिर्फ 1.5 करोड़ खाते ही निजी बैंकों में हैं। पेंशन, गैस सब्सिडी से लेकर आम लोगों के हित के ज्यादातर काम सरकारी बैंकों के जरिए ही होते हैं।
पिछले साल हुए बैंकों के विलय के बाद देश में मौजूदा वक्त में 12 राष्ट्रीयकृत बैंक हैं जिसमें बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, पंजाब एंड सिंध बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, यूको बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया है। बैंक कर्मचारियों के मुताबिक सरकार इन्हीं में से दो बैंकों का निजीकरण करना चाहती है।
मध्य प्रदेश ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स महासंघ के राज्य सचिव मदन जैन के मुताबिक इस सरकार में धरना देना भी कठिन हो गया है। हम 15-16 मार्च को बड़ा प्रोग्राम करना चाहते हैं लेकिन कोरोना के चलते अनुमति नहीं मिल पा रही है। अब बैंकों के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे, जो गलत है उसका विरोध तो करना ही होगा।
17-18 को बीमाकर्मी रहेंगे हड़ताल पर सार्वजनिक क्षेत्र की चारों जनरल इंश्योरेंस कंपनियों की सभी यूनियनों ने भी 17 मार्च को हड़ताल की घोषणा की है। एलआईसी की सभी यूनियनें 18 मार्च को काम बंद रखेंगी।