जीतू पटवारी के कटाक्ष पर अंजना ओम कश्यप ने खोया आपा, वीडियो वायरल
एंकर अंजना ओम कश्यप और एमपी के पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के बीच तीखी बहस। एक दूसरे को दी पॉलिटिक्स न करने की नसीहत।
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कृषि कानूनों की वापसी पर न्यूज चैनल आज तक के कार्यक्रम ‘हल्लाबोल’ में एंकर अंजना ओम कश्यप और मध्यप्रदेश के पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी के बीच तीखी बहस हो गई। बहस इस हद तक हुई की अंजना ओम कश्यप और जीतू पटवारी आपा खो एक दूसरे को पॉलिटिक्स न करने की नसीहत दे बैठे। डिबेट का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल है।
यह डिबेट कृषि कानूनों की वापसी को लेकर थी। डिबेट में अंजना कांग्रेस का पक्ष जानने जीतू पटवारी से सवाल करती हैं। वे कहती हैं- इस बात से सभी खुश हैं कि सरकार ने कानून की वापसी कर ली है। इस पर जीतू पटवारी यह कहते हैं कि मुझे सबसे ज्यादा खुशी तो इस बात की है कि कुछ दिन पहले आप यह कहती थीं कि तीनों कानून किसानों के हित के हैं और जब आज आप ने कहा कि तीनों कानून किसानों के हित में वापस लिए गए
इतना सुनते ही अंजना ओम कश्यप भड़क जाती हैं। अंजना भड़कते हुए यह कहती हैं कि आप वो भी सुन लेते हैं जो नहीं कहा गया हो? आप लोगों की कल्पना की कोई सीमा नहीं अपने कबूतर उड़ाते रहिए एक न एक दिन कहीं न कहीं जरूर पहुंचेंगे। हमने कृषि कानून के दोनों पक्षों को सामने रखा है लेकिन आप लोग वह देख लेते हैं जो नहीं दिखाया जाता और वो सुन लेते हैं जो नहीं कहा जाता।
इसके बाद अंजना ओम कश्यप यह कहती हैं ज्ञान कम दीजिए। जिस पर पलटवार करते हुए जीत पटवारी भी बोल पड़ते हैं कि आप भी ज्ञान कम दीजिए। इसके बाद डिबेट और तीखी हो जाती है और अंजना कह उठती हैं कि पॉलिटिक्स बंद कीजिए। इसके जवाब में जीतू पटवारी भी भड़कते हुए कहते हैं-आप भी पॉलिटिक्स बंद कीजिए।
गौरतलब है कि शुक्रवार सुबह अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया था और कहा था कि आज मैं आपको, पूरे देश को, ये बताने आया हूं कि हमने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर देशवासियों से माफी भी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि साथियों, मैं देशवासियों से क्षमा मांगते हुए, सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रह गई होगी जिसके कारण दिए के प्रकाश जैसा सत्य, कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए। इसलिए कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला लिया गया है।