दिल्ली में मंथन: क्या आदिवासी सांसद को MP में नया CM बना रही भाजपा?

दिल्ली में मध्यप्रदेश भाजपा कोर ग्रुप की बड़ी बैठक आज, सुर्खियों में सांसद सुमेर सिंह सोलंकी का नाम।

नई दिल्ली/ भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश भाजपा के कोर ग्रुप की एक बड़ी बैठक गुरुवार को दिल्ली में होने जा रही है। बताया जा रहा है कि इस बैठक में आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए बड़े फैसले लिए जा सकते हैं। वहीं सियासी गलियारों में यह चर्चा चल पड़ी है कि भाजपा अब प्रदेश में आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बना सकती है। इसके बाद राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी का नाम अचानक सुर्खियों में आ गया है।

बीते कुछ समय से प्रदेश की सियासत आदिवासी समुदाय के इर्द गिर्द ही दिखाई दे रही है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी बीते सप्ताह अपने भोपाल दौरे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा किये आदिवासी कल्याण के संकल्प को प्रमुखता दी थी। शाह जिस जंबूरी मैदान में तेंदूपत्ता संग्राहक सम्मेलन में शामिल हुए थे उसी मैदान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी जनजातीय गौरव दिवस में शिरकत कर चुके थे।

प्रदेश में बीते 7 माह में आदिवासियों को लेकर तीन बड़े कार्यक्रमों से निकले संकेतों को देखें तो साफ़ है कि आगामी 2023 के चुनाव में 22 प्रतिशत आदिवासी वोट बैंक को साध कर ही भाजपा सत्ता वापसी का दावा मज़बूत करने के प्रयास में है। मध्य प्रदेश में आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) वर्ग की 47 सीटें हैं। साथ ही सामान्य वर्ग की 31 सीटें ऐसी हैं, जहां आदिवासी वोटर निर्णायक हैं।

ऐसे में यह कहा जा रहा है कि भाजपा आदिवासी चेहरे पर मुख्यमंत्री पद का दांव खेलने की दिशा में आगे बढ़ने लगी है। यही कारण है कि आदिवासी सांसद सुमेर सिंह अचानक से सियासी सुर्खियों में आ गए हैं। सांसद सुमेर सिंह ने बीते दिनों सपरिवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात भी की थी।

डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी निमाड़ अंचल के बारेला आदिवासी हैं जो आबादी के लिहाज से आदिवासियों की बड़ी उपजाति में एक है। प्रदेश में जब ज्योतिरादित्य सिंधिया जब कमलनाथ सरकार को गिरा भाजपा में शामिल हुए थे तब उन्हें राज्यसभा सीट दिए जाने की बात तय हुई थी। उनके साथ दूसरी राज्यसभा सीट पर कई दिग्गज नामों की चर्चा के बीच भाजपा ने साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले 45 साल के सुमेर सिंह सोलंकी पर दांव खेल चौंका दिया था। इस तरह प्रोफेसर सुमेर सिंह नौकरी से इस्तीफ़ा देकर पहली बार राज्यसभा पहुंचे हैं।

सुमेर सिंह सोलंकी को संघ की पसंद का भी माना जाता है। सांसद बनने से पहले सुमेर सिंह सोलंकी आदिवासी इलाके में आरएसएस के साथ जुड़कर सामाजिक स्तर पर सक्रिय रह चुके हैं। कमजोर परिस्थिति के बाद भी सुमेर सिंह सोलंकी ने संघर्षों के बीच अपनी पढ़ाई पूरी की और प्रोफेसर बने। कहा जाता है कि सुमेर सिंह सोलंकी अपने ब्लॉक के इकलौते पीएचडी होल्डर हैं।

आदिवासी वोट बैंक को साधने की कवायद के तहत ही आदिवासी बहुल सीट जोबट में चुनाव जीतीं सुलोचना रावत को भी कैबिनेट में शामिल किए जाने की चर्चाएं हैं। सुलोचना रावत उपचुनाव से ठीक पहले कांग्रेस का हाथ छोड़कर भाजपा के साथ आ गईं थीं। तब सुलोचना रावत को दलबदल के समय मंत्री बनाए जाने का आश्वासन दिए जाने की बात भी सामने आई थी।

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