भोपाल पहुंची विंध्य प्रदेश की मांग, विधायक ने मंत्रालय के सामने किया सम्मेलन
नारायण त्रिपाठी की विंध्य प्रदेश के लिए सक्रियता भारतीय जनता पार्टी को रास नहीं आ रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इस संदर्भ में नारायण त्रिपाठी को तलब कर हिदायत भी दी थी।
Sangam Dubey
भोपाल (जोशहोश डेस्क) विंध्यप्रदेश की अलग मांग का आंदोलन अब भोपाल पहुंच गया है। शनिवार को भाजपा विधायक नारायण त्रिपाठी अपनी अलग विंध्य प्रदेश की मांग लेकर भोपाल में मंत्रालय के सामने सम्मेलन किया। अरेरा हिल्स थाना पुलिस ने मंत्रालय के सामने सम्मेलन करने से रोका भी लेकिन आयोजक नहीं माने। पुलिस के अनुसार मंत्रालय प्रतिबंधित क्षेत्र है। इसलिए उन्होंने आयोजकों से दूर सम्मेलन करने के लिए कहा।
सम्मेलन में मैहर से विधायक नारायण त्रिपाठी ने मंत्रालय के सामने भीमनगर झुग्गी बस्ती के लोगों को संबोधित किया और अलग विंध्य प्रदेश बनाने के लिए समर्थन मांगा। त्रिपाठी ने मंत्रालय के सामने सम्मेलन करने की वजह बताते हुए कहा कि मंत्रालय के सामने भीम नगर में बड़ी संख्या में विंध्य क्षेत्र के लोग रहते हैं मैं उन्हें जागरूक करने आया हूं।
प्रतिबंधित क्षेत्र के सवाल पर उन्होंने कहा कि मंत्रालय सबका है। यहां कोई प्रतिबंध नहीं है, सब अपने हैं। मैं अपने क्षेत्र के लोगों को विंध्य प्रदेश की मांग को लेकर जागरूक करने आया हूं।
हालांकि नारायण त्रिपाठी की विंध्य प्रदेश के लिए सक्रियता भारतीय जनता पार्टी को रास नहीं आ रही है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने इस संदर्भ में नारायण त्रिपाठी को तलब कर हिदायत भी दी थी इसके बाद भी नारायण त्रिपाठी लगातार अलग-अलग मंच से अलग विंध्य प्रदेश की मांग उठा रहे हैं।
इसका कारण ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक श्रीकांत चतुर्वेदी को माना जा रहा है। श्रीकांत चतुर्वेदी कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो चुके हैं। बड़ी बात यह है कि 2018 के विधानसभा चुनाव में श्रीकांत चतुर्वेदी ने कांग्रेस के टिकट पर नारायण त्रिपाठी को कड़ी टक्कर दी थी। नारायण त्रिपाठी यह चुनाव करीब तीन हजार वोटों के अंतर से ही जीत पाए थे।
अब यह माना जा रहा है कि श्रीकांत चतुर्वेदी के भाजपा में आने से नारायण त्रिपाठी के टिकट को खतरा है। 2023 के विधानसभा चुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया मैहर विधानसभा सीट पर श्रीकांत चतुर्वेदी के लिए अड़ सकते हैं। ऐसे में नारायण त्रिपाठी के लिए मुश्किल होना स्वभाविक है।
भाजपा के भरोसेमंद भी नहीं
नारायण त्रिपाठी की विश्वसनीयता को लेकर भाजपा भी आशवस्त नहीं है। नारायण त्रिपाठी पार्टी लाइन के विरुद्ध जाकर पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार के पक्ष में वोट भी कर चुके हैं। सतना के सांसद गणेश सिंह की उनसे नाराजगी भी जगजाहिर है। इस तरह भाजपा में उनकी स्थिति लगतार कमजोर हुई है। अब विंध्य प्रदेश की मांग नारायण त्रिपाठी के कद-पद को बरकरार रखने की कवायद मानी जा रही है। जिसका सीधा कारण सिंधिया समर्थक श्रीकांत चतुर्वेदी की बीजेपी में एंट्री को माना जा रहा है।