इमरती देवी को तो सिंधिया ने दे दी, अमित शाह को कौन देगा नसीहत?
गृहमंत्री अमित शाह ने बिना मास्क थूक लगाकर बांटे चुनावी पर्चे, वहीं ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इमरती देवी को सादा मास्क पहने देख टोका।
Ashok Chaturvedi
ग्वालियर (जोशहोश डेस्क) क्या नेता अच्छे-बुरे की नसीहत केवल अपने समर्थकों को ही दे सकते हैं? क्या कद-पद में बड़े माननीयों को नसीहत देने वाला कोई नहीं? ये सवाल गुरुवार को ग्वालियर और नोएडा के दो घटनाक्रम के चलते सामने आ रहे हैं। घटनाक्रम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से जुड़े हैं।
दरअसल गुरुवार को केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर पहुंचे थे। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक यहां सिंधिया ने अपनी कट्टर समर्थक इमरती देवी को सादा मास्क पहने देख टोक दिया। सिंधिया ने इमरती देवी को क्लीनकल मास्क पहने की हिदायत भी दी। इमरती देवी ने भी अपने नेता की बात मान कान पकड़ माफी मांगी। सिंधिया इससे पहले भी सार्वजनिक मंचों से कई नेताओं को सही तरीके से मास्क लगाने की नसीहत देते रहे हैं।
दूसरी ओर देश के गृहमंत्री अमित शाह कल चुनाव प्रचार के लिए उत्तरप्रदेश पहुंचे। यहां अमित शाह बिना मास्क जनता के बीच थूक लगाकर चुनावी पर्चे बांटते नजर आए। जबकि कोरोना की तीसरी लहर के बीच हो रहे विधानसभा चुनाव को देखते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग ने सख्त गाइडलाइन भी जारी की हुई है। इसके बाद भी केंद्रीय गृहमंत्री बिना मास्क भीड़ के बीच दिखे।
इससे पहले अमित शाह कैराना में भी बिना मास्क चुनाव प्रचार करते दिखे थे। जिस पर विपक्ष ने सवाल उठाए थे और केंद्रीय चुनाव आयोग से कार्रवाई करने को भी कहा था। सोशल मीडिया पर भी गैर जिम्मेदारी को लेकर अमित शाह की तीखी आलोचना हुई थी।
इन दोनों घटनाक्रम के बाद यह सवाल है साधारण मास्क पहने इमरती देवी को सिंधिया अगर क्लीनकल मास्क पहनने की नसीहत दे सकते हैं तो बिना मास्क प्रचार कर रहे अमित शाह को नसीहत देने का साहस कौन जुटा पाएगा?
बड़ी बात यह है कि बिना मास्क सार्वजनिक स्थानों पर दिखाई देने वाले अमित शाह अकेले नेता नहीं। प्रदेश और देश के कई नेताओं को इमरती देवी जैसी नसीहत की जरूरत है लेकिन यह नसीहत दे कौन यह बड़ा सवाल है? होना तो यह चाहिए कि जिम्मेदार और संवैधनिक पदों पर बैठे दिग्गज स्वयं नियम-कानूनों का पालन करते दिखें न कि नियम-कायदों को ठेंगा बताते नज़र आएं।