तवांग: क्या PM मोदी छवि बचाने के लिए फिर से चीन को क्लीन चिट दे देंगे?
तवांग में भारत और चीनी सेना में झड़प, 9 दिसंबर की घटना, विपक्ष ने उठाया मोदी सरकार पर सवाल
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सेना में झड़प की खबर के बाद केंद्र सरकार पर सवाल उठ रहे हैं। बड़ी बात यह है कि घटना 9 दिसंबर की है और तीन दिन बाद सामने आई है। संसद का सत्र चल रहा है फिर भी सरकार ने इस इसकी जानकारी नहीं दी। अब विपक्ष इस मामले को लेकर सरकार पर सवाल उठा रहा है।
मंगलवार की इस मुद्दे की गूँज संसद में भी सुनाई देगी। इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुबह चीनी सेना से झड़प के मसले पर बैठक की है। इसमें एनएसए अजीत डोभाल, सीडीएस और आर्मी चीफ मौजूद थे। बताया जा रहा है कि अब राजनाथ सिंह इस मसले पर लोकसभा में दोपहर 12:00 बजे तो राज्यसभा में दोपहर 2:00 बजे बयान देंगे।
वहीं कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा सवाल उठाया है। पार्टी के मीडिया & पब्लिसिटी डिपार्टमेंट के चेयरमैन पवन खेड़ा ने वीडियो जारी कर कहा कि चीनी राष्ट्रपति को झुक कर सलाम करने में और लाल आँख दिखाने में अंतर होता है। हमला मैप पर हो और जवाबी हमला एप्प पर किया जाये तो वही होता है जो अब हो रहा है। चीन ने अब अरुणाचल पर अपनी बुरी नज़र डाली है। क्या प्रधान मंत्री अपनी छवि बचाने के लिए फिर से चीन को क्लीन चिट दे देंगे?
AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी सरकार पर देश को अंधेरे में रखने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संसद सत्र चल रहा है फिर भी इस बारे में जानकारी क्यों नहीं दी गई। अभी घटना का ब्योरा अधूरा है। झड़प की वजह क्या थी? गोलियां चली थीं या गलवान जैसा था? कितने सैनिक घायल हुए हैं? उनकी हालत क्या है? संसद सैनिकों को अपना सार्वजनिक समर्थन क्यों नहीं दे सकती है? संसद में इस पर तत्काल चर्चा की जरूरत है। कल मैं इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश करूंगा।
गौरतलब है कि 1 मई, 2020 को दोनों देशों के सैनिकों के बीच पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी किनारे पर झड़प हो गई थी। उस झड़प में दोनों तरफ के कई सैनिक घायल हो गए थे। इसके बाद 15 जून की रात गलवान घाटी पर भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने आ गए। इस झड़प में दोनों ओर से खूब पत्थर, रॉड चले थे। इसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के 38 से ज्यादा जवानों के मारे जाने की खबर आई थी।