नोटबंदी की पांचवी जयंती पर खामोश क्यों इवेंटजीवी सरकार-BJP प्रायोजित मीडिया
नोटबंदी को पांच साल पूरे, परिणाम पर तर्क वितर्क जारी, विपक्षी दलों ने सरकार पर उठाये सवाल।
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में की गई नोटबंदी को पांच साल पूरे हो गए। मोदी सरकार ने आठ नवंबर 2016 को आधी रात से 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी, जो उस समय चलन में थे। अब पांच साल बाद भी नोटबंदी के परिणाम पर तर्क वितर्क जारी हैं।
एक और विपक्षी दल नोटबंदी को विफल करार देकर सरकार के मंतव्य पर सवाल उठा रहे हैं दूसरी ओर सरकार नोटबंदी के नतीजों को लेकर बहुत उत्साहित नहीं दिख रही है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सवाल उठाया कि अगर नोटबंदी सफल थी तो भ्रष्टाचार खत्म क्यों नहीं हुआ? कालाधन वापस क्यों नहीं आया? अर्थव्यवस्था कैशलेस क्यों नहीं हुई? आतंकवाद पर चोट क्यों नहीं हुई? महंगाई पर अंकुश क्यों नहीं लगा?
वहीं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता पवन खेरा ने नोटबंदी के पांच साल पूरे होने पर सरकार और मीडिया के एक वर्ग की चुप्पी को निशाने पर लिया। उन्होंने लिखा कि इवेंटजीवी सरकार और उनके साथ थिरकने वाली बीजेपी पोषित एंकर प्रायोजित मीडिया आज नोटबंदी की पाँचवी जयंती पर खामोश क्यों है?
सोशल मीडिया पर भी नोटबंदी को लेकर अलग अलग प्रतिक्रियाएं दिखाई दे रही हैं।
दूसरी ओर विपक्ष के सवाल उठाने के बाद भी पांच साल पूरे होने पर नोटबंदी के पक्ष में सरकार या उसके समर्थक से कोई उत्साहजनक प्रतिक्रिया दिखाई नहीं दी।
गौरतलब है कि नोटबंदी के फ़ैसले का ऐलान करते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काले धन पर लगाम कसने की बात कही थी। साथ ही नोटबंदी के फ़ायदे गिनाते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था कि इससे जाली नोटों को ख़त्म करने में मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नोटबंदी का ऐलान करते वक्त इसे भ्रष्टाचार, काले धन के ख़िलाफ़ जंग बताया था। साथ ही कहा था कि नोटबंदी से आतंकवाद और नक्सलवाद की कमर टूट जाएगी क्योंकि इन्हें जाली करंसी और काले धन से मदद मिलती है। हालांकि पांच साल बाद नहीं ये सभी उद्देश्य नोटबंदी से तो पूरे होते नज़र नही आये।