10 महीने में मध्यप्रदेश की 111 कंपनियों का कारोबार बंद
मध्यप्रदेश में बीते दस महीनों में 111 कंपनियों ने कारोबार बंद कर दिया। वहीं देश भर में यह आंकड़ा 10 हजार से भी ज्यादा है।
Ashok Chaturvedi
नई दिल्ली (जोशहोश डेस्क) कोरोनाकाल में देश और प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाए जाने के तमाम वादों के बीच जमीनी हकीकत बेहद ही गंभीर है। केवल मध्यप्रदेश में बीते दस महीनों में 111 कंपनियों ने कारोबार बंद कर दिया। वहीं देश भर में यह आंकड़ा 10 हजार से भी ज्यादा है। लोकसभा में काॅर्पोरेट मामलों के मंत्री अनुराग ठाकुर ने एक सवाल के जवाब में यह जानकारी दी है।
काॅर्पोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2020 से फरवरी 2021 तक 10 महीने की अवधि के दौरान देश में 10,113 कंपनियां बंद रहीं। यह उन कंपनियों की संख्या है जो बिना किसी दंडात्मक कार्रवाई किए स्वेच्छा से बंद हो गई हैं।
सोमवार को लोकसभा में एक सवाल के लिखित उत्तर में, कॉर्पोरेट मामलों के राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया कि मंत्रालय उन कंपनियों का कोई रिकॉर्ड नहीं रखता है, जो व्यवसाय से बाहर हो गई हैं। वर्ष 2020-21 के दौरान कुल 10,113 कंपनियों की संख्या अधिनियम की धारा 248 (2) के तहत बंद कर दी गई हैं।
किस राज्य में क्या हाल
मंत्रालय के अनुसार, दिल्ली में 2,394 कंपनियां बंद हुईं। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 1,936 कंपनियां बंद हो गईं। तमिलनाडु (1322 कंपनियां), महाराष्ट्र (1279 कंपनियां) और कर्नाटक (836 कंपनियां) शीर्ष पांच बंद राज्यों में से एक हैं। चंडीगढ़ और राजस्थान में, 479 कंपनियां बंद हुईं, तेलंगाना में 404 और केरल में 307। इसी तरह, झारखंड में 137 कंपनियों, मध्य प्रदेश में 111 कंपनियों और बिहार में 104 कंपनियों को अप्रैल 2020 और फरवरी 2021 के बीच टाला गया। अन्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में, मेघालय में 88, ओडिशा में 78, छत्तीसगढ़ में 47, गोवा में 36, पुडुचेरी में 31, गुजरात में 17, पश्चिम बंगाल में चार और अंडमान और निकोबार में केवल दो कंपनियां बंद की गईं।
लॉकडाउन मुख्य कारण
गौरतलब है कि कोरोना संकट को देखते हुए देश भर में 24 मार्च को 21 दिन के लाॅकडाउन का ऐलान किया था। जो चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ता रहा। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 12 मई को आत्मनिर्भर भारत के लिए 20 लाख करोड़ का पैकेज घोषित किया था लेकिन आंकड़े बता रहे हैं कि ये आत्मनिर्भर भारत के लिए घोषित यह पैकेज उद्योगों के लिए बहुत ज्यादा कारगर साबित नहीं हुआ। लॉकडाउन से कंपनियों को बड़ा नुकसान हुआ। इसलिए हजारों कंपनियां बंद हो गईं।