बड़ा सवाल: सियासी टाॅपर्स के अंचल में फिसड्डी क्यों नौनिहाल?
देश और प्रदेश की सरकार में दबदबे के बाद भी नौनिहालों की शिक्षा में पिछड़ रहा ग्वालियर-चंबल।
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) केंद्र से लेकर प्रदेश सरकार में ग्वालियर-चंबल इलाके का दबदबा जगजाहिर है। इलाके के दिग्गज नेता देश और प्रदेश की सरकार में तो दबदबा बनाए हैं लेकिन इन दिग्गजों की सियासी ताकत के बाद भी नौनिहालों की शिक्षा के साथ सबसे बड़ा खिलवाड इसी अंचल में हो रहा है। हाल ही आई केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट ने इसे साबित भी कर दिया है।
स्कूलों से जुड़ी केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश के जिन 16 जिलों में पांचवी कक्षा का एक भी विदयार्थी ए प्लस कैटेगरी में नहीं आया है उनमें सर्वाधिक जिले प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल के हैं। इन जिलों में ग्वालियर, दतिया, श्योपुर, भिंड, मुरैना, अशोकनगर और शिवपुरी शामिल है।
बड़ी बात यह है कि केंद्र सरकार में नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश सरकार में नरोत्तम मिश्रा जैसे बड़े सियासी नाम इन जिलों का ही प्रतिनिधित्व करते हैं। यही नहीं शिवराज सरकार में मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया, भरत सिंह कुशवाहा ,अरविंद भदौरिया, प्रद्युम्न सिंह तोमर, ओपीएस भदौरिया, सुरेश धाकड़, ब्रजेन्द्र सिंह यादव और महेंद्र सिंह सिसोदिया भी इसी अंचल के हैं।
देश और प्रदेश की सरकार में इतने प्रतिनिधित्व के बाद भी ग्वालियर चंबल के स्कूलों में प्राथमिक शिक्षा की स्थिति की पोल इस रिपोर्ट ने खोल दी है। जबकि परीक्षाओं में नकल के लिए यह अंचल पूरे प्रदेश में कुख्यात है। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि मध्य प्रदेश में 21077 स्कूल सिर्फ एक-एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं और अध्यापकों के सबसे अधिक पद प्रदेश में खाली हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने भी इस रिपोर्ट को लेकर शिवराज सरकार पर सवाल उठाया है-
यूनेस्को की वर्ष 2021 की रिपोर्ट मुताबिक प्रदेश में 22% स्कूल ऐसे थे जिनमें शिक्षकों के 54% पद खाली हैं। इन पदों की संख्या 87630 पद है। इस मामले में मप्र की स्थिति यूपी और बिहार के बाद नीचे से तीसरे पायदान पर है। रिपोर्ट के मुताबिक स्कूल स्तर पर बच्चों को कंप्यूटर एजुकेशन उपलब्ध कराने में मध्यप्रदेश देश में सबसे पीछे है। प्रदेश के सिर्फ 3 फीसदी स्कूल ही ऐसे हैं, जिनमें बच्चों के लिए कंप्यूटर डिवाइस हैं।