DSP मदन मोहन समर की पोस्ट-SI श्रीराम दुबे की मौत पूरे समाज और सिस्टम की मौत

सब इंस्पेक्टर श्रीराम दुबे की मौत समाज में बढ़ती हिंसात्मक प्रवत्ति पर भी सवाल है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश की राजधानी भोपाल में नो पार्किंग में चालान कटने से नाराज छात्र द्वारा चाकू से किए गए हमले में सब इंस्पेक्टर श्रीराम दुबे की मौत समाज में बढ़ती हिंसात्मक प्रवत्ति पर भी सवाल है। डीएसपी मदन मोहन समर ने अपनी फेसबुक पोस्ट में सब इंस्पेक्टर श्रीराम दुबे की मौत को समाज और सिस्टम की मौत बताया है।

पढ़िए उनकी FB पोस्ट-

सब इंस्पेक्टर श्रीराम दुबे की मौत हमारे पूरे समाज और सिस्टम की मौत है….

ड्यूटी कर रहा यह पुलिस अधिकारी शिकार हुए है एक दुर्दांत मानसिकता का जो इंजीनियरिंग कर रहे छात्र को समाज से मिल रही है। मां बाप उनके शैशव में संस्कार और सभ्यता का नाम के सुंगंधित पौधे रोपित करने में अक्षम हुये हैं। क्योंकि वे स्वयं नुकेले शूलों से लदे हुए विषवृक्ष ही तो रहे हैं। यह मानसिकता कदम-कदम पर सिर उठा रही तालिबानी संस्कृति नहीं तो क्या है?

डीएसपी मदन मोहन समर

अपनी ट्रैफिक ड्यूटी पर मुस्तैद श्रीराम दुबे ने अपराध ही तो रोका था। हर्ष मीणा नाम के इस इंजीनियर तालिबान का चालान काटा तो इसने सीधा छुरा घोंप दिया, और सब इंस्पेक्टर की हत्या कर दी। क्या यह तालिबानी आचरण से कम है क्या? आप स्थापित व्यवस्था का उल्लंघन करें फिर कानून आपको रोके तो आप कानून को रक्तरंजित कर नष्ट कर दें तो फिर राज्य नामक इकाई कैसे संचालित होगी? प्रश्न साधारण नहीं है।

अब आप इस घटना का पोस्ट मार्टम करते रहिए, मृतक के शरीर के पोस्टमार्टम की तरह। बताते रहिए समाज की श्वास नलियां अवरुद्ध हैं, कहते रहिए इस सोसायटी का हृदय संकुचित हो गया है, अफसोस जताएं आज लोगों के मस्तिष्क में अनियंत्रण के क्लॉडस जम गए हैं वगैरह वगैरह। लेकिन चिकित्सक के रूप में स्थापित पारिवारिक इकाई क्या ड्यूटी कर रही है? वह उपचार के स्थान पर अपने ही रोगी को कौन सी औषधि दे रही है? पिता, मां, बहन, भाभी, भाई, बुआ, ताऊ, और दादा जैसे सुपर स्पेशलिस्ट किस चैंबर में प्रिस्क्रिप्शन दे रहे हैं? शायद हम अनुत्तरित हैं।

हर्ष मीणा उन इंजीनियरिंग कॉलेजों में उगा तालिबान है जो शिक्षा के नाम पर सिर्फ डिग्रियां बेच रहे हैं। उन्हें यह भी नहीं पता उनकी इस फैक्ट्री का प्रोडक्ट इन्फेक्टेड हो रहा है। यह बाजार में जाकर आपके लेबल की भद्द पिटवायेगा।

दुबे जी की यह मौत केवल भोपाल में घटित एक घटना मात्र नहीं है, पूरे समाज के मस्तिष्क के लिए प्रश्न है। क्योंकि कभी किसी भी उत्तरदायित्व के समय आप श्रीराम दुबे हो सकते हैं व कभी भी कहीं भी हर्ष मीणा की जगह आपका ही बेटा भी हो सकता है।

गौरतलब है कि 7 अगस्त को 27 वर्षीय इंजीनियर हर्ष मीणा ने ट्रैफिक पुलिस के सब-इंस्पेक्टर श्रीराम दुबे को चाकू मार दिया था। हर्ष मीणा अपनी बाइक को ट्रैफिक क्रेन द्वारा नो पार्किंग क्षेत्र से एमपी नगर थाना परिसर ले जाने से नाराज था। एमपी नगर थाने में ट्रैफिक एसआई श्रीराम दुबे ने हर्ष मीणा को बाइक के दस्तावेज दिखाने और 600 रुपये का जुर्माना भी भरने को कहा था। चालान कटवाने के बाद हर्ष मीना ने क्राइम ब्रांच थाने के गेट के पास सब-इंस्पेक्टर पर चाकू से वार कर दिया था।

इसके बाद सब इंस्पेक्टर श्रीराम दुबे को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रारंभिक इलाज करने के बाद डाक्टर ने उन्हें छुट्‌टी दे दी थी। दो दिन बाद अचानक दर्द होने पर वे दोबारा अस्पताल पहुंचे थे। जहां, करीब 10 दिन तक चले इलाज के बाद उनका निधन हो गया था।

सब इंस्पेक्टर श्रीराम दुबे की आंत में इंफेक्शन और इलाज में लापरवाही की बात भी सामने आई है। डीआईजी इरशाद वली के मुताबिक श्रीराम दुबे के इलाज का भी पूरा ब्यौरा देखा जा रहा है। उपचार में लापरवाही साबित होने पर डाक्टर्स के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

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