आदरणीय मुख्यमंत्री जी !
मेरा जन्म मध्यप्रदेश में हुआ है । इस हिसाब से मैं आपकी भांजी भी हुई। मामा जी, मैं पत्रकारिता की स्नातक हूं और मध्यप्रदेश में आए दिन होने वाले महिलाओं पर अत्याचार की खबरों को सुनकर और पढ़ कर चिंतित हूं। मध्यप्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सरकार द्वारा पिछले कई सालों से बहुत कुछ कहा जाता रहा है लेकिन आसपास जो घट रहा है वह उससे बिल्कुल अलग है। आज ही अखबार में उमरिया में हुई दरिंदगी का समाचार पढ़कर में सहम गई हूं, प्रदेश में बीते 5 दिनों में हुई हैवानियत की यह तीसरी घटना है।
आदरणीय मामाजी आप के भाषण और रोज टेलीविजन पर आपके द्वारा महिला सुरक्षा के संबंध में किए जाने वाले वायदे मध्य प्रदेश की सच्चाई से बहुत दूर है।
जिस दिन से मैंने आप को यह कहते हुए सुना है कि अब सरकारी कार्यक्रमों की शुरुआत में आप कन्या पूजन करेंगे तब से मेरे मन में बार-बार यह सवाल आता है कि आखिर “सरकार की कथनी और करनी में यह अंतर क्यों है?”
आप बात तो कन्या पूजन की करते हैं, लेकिन प्रदेश की ज़मीनी हकीकत कुछ और ही है। आप कहते हैं कि आप कन्याओं की पूजा करते हैं लेकिन प्रदेश में भांजियों की वास्तविक स्थिति बिल्कुल विपरीत ही है। प्रदेश में आप की भांजियों की आबरू खतरे में हैं, बेटियों पर दरिंदों की नापाक निगाह का जीता जागता उदाहरण प्रदेश में लगातार बढ़ रहे बलात्कार के मामले हैं।
पिछले मामलों की बात न करते हुए हाल ही की बात करती हूं, उमरिया में मात्र 13 साल की लड़की के साथ नौ लोगों ने दुष्कर्म किया, मासूम बच्ची इतनी डरी सहमी है कि उसने तो ज़िन्दगी जीने की उम्मीद भी छोड़ दी होगी। आपके ही शहर में 35 साल की महिला के साथ दुष्कर्म किया जाता है, वो भी उस स्थान के पास जहां शहर के रक्षक रहते हैं, भोपाल के PHQ इलाके में भी महिला इतनी असुरक्षित है। मामा जी दरिंदे इतने बेख़ौफ़ कैसे हो सकते हैं? शहर के रक्षकों के इलाके में भक्षक अमानवीय कृत्य करने का साहस कैसे जुटा लेते हैं?
मैं प्रदेश की एक बेटी और आपकी भांजी होने के नाते आपको बताना चाहती हूं कि प्रदेश में ऐसी घटनाओं के बारे में जानकर मुझे डर लगता है घर से बाहर निकलने में, मेरी रूह कापंती है जब कोई गन्दी नज़र से मुझे देखता है, मुझे डर लगता है जब दिन ढल जाता है और मैं घर नहीं पहुंच पाती हूं, मैं डर जाती हूं जब प्रदेश में हुई किसी बहिन के साथ हुई दरिंदगी के किस्सों की गूंज मेरे कानों में पड़ती है, मैं सहम उठती हूं जब लोग मुझे कहते हैं कि संभलकर रहा करो, मालूम तो है न उस लड़की के साथ क्या हुआ था, मेरी आत्मा चीख उठती है जब मेरी ही जैसी किसी लड़की को बिना किसी कसूर के सिर्फ उसे लड़की या औरत होने की सज़ा सरेआम मिलती है, जब मेरी जैसी किसी लड़की की हंसती-खेलती ज़िंदगी को घिनौने तरीके से बर्बाद कर दिया जाता है। मामा मैं अपने आप को ऐसे वातावरण में असहाय महसूस करती हूं।
आप ने बेटियों को पूजना तो शुरू कर दिया लेकिन बेटियों की सुरक्षा पर अब तक आपने कोई बड़ा कदम नहीं उठाया। आपने घोषणा की कि शासकीय कार्यक्रमों की शुरुआत बेटियों की पूजा से होगी जिसपर अमल करना भी शुरू हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की जयंती पर कार्यक्रम की शुरुआत भी बेटी की पूजा से हुई।
कन्यापूजन के लिए मैं आपकी प्रशंसा करती हूं, लेकिन बेटियों को पूजने से ज्यादा उन्हें सुरक्षित करने की आवश्यकता है।
मध्यप्रदेश में बेटियों की सुरक्षा को लेकर हालात इतने बद्तर है कि बीते कई सालों से महिला अपराधों की सूची में मध्य प्रदेश अब्बल है। महिलाओं के साथ-साथ नाबालिगों से दुष्कर्म, एसटी-एससी महिलाओं पर अत्याचार के मामले में मध्यप्रदेश ने सभी राज्यों को पीछे छोड़ दिया।
नाबालिगों से बलात्कार के मामले में भी मध्यप्रदेश अव्वल दर्ज़े पर है…
मध्यप्रदेश में नाबालिगों से बलात्कार का आकंड़ा 3337 है, जो उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र से भी ज्यादा है। उत्तरप्रदेश में 326 और महाराष्ट्र में 3117 मामले दर्ज़ हैं।
दलितों से दुष्कर्म में मध्यप्रदेश में बीते 3 सालों में मामले बढ़ते जा रहे हैं…
2017-5892 मामले,
2018-4753 मामले,
2019-5300 मामले दर्ज़ किए गए।
अब आदिवासियों से बलात्कार के मामले पर भी आप नज़र डालिए…
2017-2289 मामले,
2018-1868 मामले,
2019-1922 मामले दर्ज़ किए गए।
साल 2020 में महिला अपराधों को लेकर पिछले 8 महीनों के ही आंकड़ों खंगाले जाए तो मध्यप्रदेश में हत्या के 509 मामले, हत्या की कोशिश के 207, मारपीट के 9 हज़ार 974, छेड़छाड़ के 6 हज़ार 479 मामले, अपहरण 5 हज़ार 619 मामले, महिलाओं के साथ दुष्कर्म के 3 हज़ार 837 मामले, दहेज़ हत्या के 519 मामले और दहेज़ प्रताड़ना 4 हज़ार 604 मामले सामने आए।
2018 में देश के कुल 33,356 बलात्कार के मामलों में राज्य का 16 प्रतिशत हिस्सा है। मध्यप्रदेश में 2018 में 5,433 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए। 2018 में लगातार तीसरे वर्ष राज्य ने शीर्ष स्थान हासिल किया था। बलात्कार के 2,841 मामलों में से पीड़ितों की उम्र 18 वर्ष से कम थी, इनमें से 54 मामलों में, पीड़ित छह वर्ष से कम उम्र के थे, जबकि 142 पीड़ित 6 से 12 वर्ष की आयु के थे। कथित तौर पर, 2018 में राज्य में 1,143 मामलों की तारीख के अनुसार, पीड़ित 12 से 16 आयु वर्ग के थे, जबकि 1,502 मामलों में वे 16 से 18 वर्ष की आयु के थे।
2018 में, बलात्कार के मामलों की अधिक संख्या वाले राज्य मध्य प्रदेश थे (राजस्थान के बाद 4,335), उत्तर प्रदेश (3,946), महाराष्ट्र (2,142) और छत्तीसगढ़ (2,091)
कितनी महिलाएं और बच्चियां मध्यप्रदेश से गायब है
साल 2020 में लॉकडाउन के दौरान अप्रैल से दिसंबर के बीच कुल 7 हजार युवतियों के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज की गई है। इन 7 हज़ार युवतियों में से मात्र 4 हज़ार की तलाश की गई है अब भी 3 हज़ार युवतियों का कोई सुराग हाथ नहीं लगा है।
इन मामलों में अधिकांश में बिना बताए घर से जाना, नाराज होकर भागना या बिना बताए प्रेमी के साथ भागने के तथ्य सामने आए हैं।
लॉकडाउन के साथ महिलाओं के अपराध भी बढ़ते रहे
मध्यप्रदेश में मार्च के अंत में जब कोरोना महामारी के चलते लॉकडाउन लगाया गया था। लेकिन लॉकडाउन के दौरान भी महिला अपराधों में कोई गिरावट दर्ज़ नहीं की गई, महिलाओं के साथ अपराध भी लॉकडाउन में बढ़ते रहे यह आंकड़ा चौकाने वाला है कि मध्यप्रदेश में अलग-अलग थानों में 11 हज़ार से भी ज्यादा मामले दर्ज़ किए गए।
जनवरी 2020 से लेकर अक्टूबर 2020 तक ही प्रदेश भर में 45 हज़ार 920 महिला अपराध घटित हुए हैं, जिनमें महिलाओं के प्रति कई संगीन अपराध जैसे हत्या, हत्या का प्रयास, मारपीट अपहरण, छेड़छाड़ और बलात्कार जैसे अपराध शामिल हैं।
आप जब सरकारी कार्यक्रमों के पहले कन्या पूजन कर रहे थे, उसी दिन मध्यप्रदेश में कई स्थानों पर अबोध बालिकाओं और महिलाओं के साथ दुराचार और हिंसा की घटनाएं हो रही थी।
इतना ही नहीं आपने तो अपनी भांजियों से साइकिल भी छीन ली
आपकी सरकार ने ‘स्कूल चलें हम’ अभियान के तहत विद्यार्थियों को निशुल्क दी जाने वाली साइकिलों का वितरण नहीं करेगी। जिससे सरकार करीब 300 करोड़ रुपए बचाएगी। सरकार कक्षा 6 से 9 तक के करीब तीन लाख विद्यार्थियों को हर साल निशुल्क साइकिल वितरण करती थी। जिस पर करीब तीन सौ करोड़ खर्च किए जाते थे लेकिन इस बार स्कूल शिक्षा विभाग ने साइकिल वितरण का इरादा छोड़ दिया है।
आप ने पिछले 15 सालों में वादे तो कई किए हैं लेकिन मध्यप्रदेश में महिलाओं और उनकी सुरक्षा के प्रति कोई काम नहीं हुआ मात्र बातें हुईं। मध्यप्रदेश में लगातार महिलाओं के खिलाफ हो रहे है अत्याचारों से प्रदेश शर्मसार हो रहा है।
आदरणीय मामाजी, इस पत्र में लिखे मेरे विचार यदि आपको अच्छे ना लगे हो तो मुझे क्षमा कर दीजिएगा।
मैंने आरंभ में अपने आप को आपकी भांजी बताया था। भांजी के रूप में पत्र लिखने का साहस मैंने इसलिए किया क्योंकि जिस तरह से आप “मामा” शब्द का राजनीतिक इस्तेमाल करते हैं उसी तरह से मैंने “भांजी” शब्द का पत्रकारीय इस्तेमाल करके अपनी बात आप तक पहुंचाने की कोशिश की है।
आपकी भांजी..
आयुषी जैन