जैसे-जैसे चुनाव की तारीख़ नजदीक आ रही है वैसे ही मध्य प्रदेश का विधानसभा चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। कमलनाथ जोकि पिछले 50वर्षो से चुनावी राजनीति में अजय रहे है और 2018 में भी कांग्रेस कमलनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाने में कामयाब रही थी। आज 2023 में भी कमलनाथ की रणनीति और राजनैतिक अनुभव का पूरा लाभ मध्य प्रदेश कांग्रेस को मिलता हुआ दिख रहा है।
बड़े नेताओं को टिकट से स्पष्ट संदेश
कांग्रेस का लगातार कहना रहा है कि हम मध्य प्रदेश के चुनाव को लेकर बहुत ही गंभीर और स्पष्ट हैं। कमलनाथ भी अपनी जनसभाओं में लगातार कहते हैं कि मध्य प्रदेश का यह चुनाव किसी पार्टी या उम्मीदवार का चुनाव नहीं है, बल्कि यह मध्य प्रदेश के भविष्य का चुनाव है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस ने अपनी पहली ही लिस्ट में प्रदेश के सभी बड़े और वरिष्ठ नेताओं को टिकट देकर जनता को स्पष्ट संदेश दिया है।
कांग्रेस का कहना है कि वह भाजपा की तरह चौथी सूची में अपने वरिष्ठ नेताओं को टिकट देकर जनता को भ्रमित करने का काम नहीं करना चाहती थी। कांग्रेस का कहना है कि हमने जनता की भावनाओं और इच्छा के अनुसार टिकट की सूची निकली है। जबकि भाजपा ने अपने नेताओं और जनता की भावना दोनों का ही सम्मान नहीं किया है। भाजपा ने ऐसे नेताओं को टिकट दिया है जिनको खुद ही पता नहीं है कि उन्हें चुनाव लड़ना होगा।
ऐसे में देखना और दिलचस्प होगा कि एक तरफ जहां कांग्रेस इतने स्पष्ट संदेश के साथ टिकट की सूची निकाल रही है। वहीं भाजपा टिकट की सूची को एक,दो,तीन चार सूची में बाटकर निकाल रही है इससे चुनाव के एक महीने पहले ही स्पष्ट होता है कि कांग्रेस मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 को लेकर एकदम स्पष्ट रणनीति के साथ मैदान में है।
कांग्रेस की पहली सूची को गौर से देखें तो प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ छिंदवाड़ा से चुनाव लड़ रहे हैं, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह लहार से, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल भैया चुरहट से चुनाव मैदान में है। पार्टी ने बिना कोई संकोच किये पहले ही सूची में प्रदेश के प्रमुख नेताओं को टिकट दे दिए हैं इनमें बाला बच्चन जीतू पटवारी, कमलेश्वर पटेल, तरुण भनोट जयवर्धन सिंह विक्रांत भूरिया आदि सभी के नाम शामिल हैं।
टिकिट सूची से स्पष्ट है कि कांग्रेस पार्टी ने जनता की इच्छा के आधार पर यानी सर्वेक्षण के आधार पर ही 144 प्रत्याशियों को टिकट दिए हैं। कांग्रेस ने अपनी पहली सूची में उन सभी प्रत्याशियों को टिकिट दिया है जोकि लगातार पिछले कई वर्षों से पार्टी की सेवा कर रहे है और तीन से छः बार के विधायक है या पूर्व मंत्री रहे है। जिनका अपना बहुत बड़ा राजनैतिक जीवन रहा है और साथ ही सभी तरह के सर्वे में सबसे आगे रहे है। सबसे खास बात यह है की इन प्रत्याशियों के नाम पर न सिर्फ सर्वे की मोहर है बल्कि प्रदेश के सभी वरिष्ठ नेताओं और केंद्रीय नेताओं की आम राय भी शामिल है।
पहले ही दवाब में है भाजपा
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव परिणाम पिछले 3 महीने से स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं कि भाजपा के 18साल के कुशासन का अंत नजदीक है। कांग्रेस भी लगातार दावा कर रही है कि वो पूर्ण बहुमत के साथ इसबार सरकार बनाएगी। इसका एक बड़ा कारण है कमलनाथ का वचन पत्र। कमलनाथ ने चुनाव के पहले ही अपने वचन पत्र के जरिए जनता के हित को ध्यान में रखते हुए स्पष्ट घोषणाएं की और उसके बाद कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उन घोषणाओं को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य किया उसने जनता में कमलनाथ के लिए विश्वास को और मजबूती मिल रही है। साथ ही अपने आरोप पत्र के माध्यम से कांग्रेस ने शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी की सरकार पर भ्रष्टाचार और 50% कमीशन का आरोप लगाया जिससे भाजपा लगातार बचती हुई नजर आ रही है। कमलनाथ ने अपने 11वचनों में महिलाओं, युवाओं और किसानों का विशेष ध्यान रखा है। नारी सम्मान योजना के जरिए कमलनाथ ने प्रदेश की महिलाओं को 1500 रूपये देने की बात कही जबकि शिवराज सिंह चौहान ने लाड़ली बहना योजना के नाम पर पहले 1000 और बाद में 1250 रूपये देने की बात कही। कमलनाथ ने वचन पत्र में 500में सिलेंडर, 27%ओबीसी आरक्षण, किसानों पर हुए मुक़दमे वापिस लेने जैसे कई वचन दिये है। इससे भारतीय जनता पार्टी की सरकार पहले से ही दवाब में है। यही कारण है कि शिवराज सिंह चौहान लगातार घोषणा करके डेमेज कंट्रोल करने का नामुमकिन प्रयास कर रहे है।
सामाजिक न्याय का रखा ध्यान
भाजपा ने अपनी पहली सूची में 39 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की थी जिसपर कांग्रेस का कहना है कि भाजपा ने पहली सूची की शुरुआत हारने वाले प्रत्याशियों से की है और अपने वरिष्ठ नेताओं का अपमान करते हुए उनका नाम टिकिट की चौथी सूची में जारी किया। भाजपा की टिकिट की सूची को देखा जाए तो पता लगता है कि अपने को महिला हितैषी बताने वाली भाजपा और अपने को प्रदेश की सभी माता-बहनों का भैया और मामा बताने वाले शिवराज सिंह चौहान ने केवल 12 महिला उम्मीदवार को ही टिकट दिये हैं। जबकि कांग्रेस के 144 घोषित प्रत्याशियों में से ओबीसी वर्ग के 39 प्रत्याशी, अनुसूचित जाति के 22 प्रत्याशी और आदिवासी वर्ग के 30 प्रत्याशी शामिल हैं। अल्पसंख्यक वर्ग के 6 प्रत्याशी शामिल हैं। पार्टी ने 19 महिलाओं को टिकट दिया है। 144 में से 65 प्रत्याशी ऐसे हैं जिनकी उम्र 50 वर्ष से कम है। आशा की जा रही है कि अगले तीन-चार दिन में कांग्रेस पार्टी की दूसरी सूची भी आ जाएगी। प्रदेश में 17 नवंबर को मतदान होना है और 3 दिसंबर को मतगणना होगी। कुलमिलाकर देखा जाए तो कांग्रेस ने टिकिट की पहली सूची से स्पष्ट संदेश तो दिया ही है साथ ही भाजपा पर बढ़त बनाते हुए सामाजिक न्याय को भी ध्यान में रखा है। कांग्रेस की पहली सूची में ही सरकार बनाने के लिए जो आंकड़े चाहिए है उनको पूरा करने वाले प्रत्याशी शामिल है। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी भी पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस को 150 से अधिक सीट प्राप्त होगी। कांग्रेस का टिकट वितरण इस दिशा में बढ़ाया गया एक ठोस कदम प्रतीत हो रहा है।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं)