कमल डागर भोपाल के गूगल मैप बनकर कर रहे कमाई, जानें कैसे?
Sangam Dubey
भोपाल (जोशहोश डेस्क) भोपाल की गलियों में जहां गूगल मैप असफल हो जाता है और ड्राइवरों को भ्रमित कर देता है। वहां से सीहोर के एक ढाबे में तंदूरी रोटी बनाने वाले कमल डागर का काम शुरू होता है।
सीहोर के पास भोपाल इंदौर रोड पर स्थित तकीपुर गांव के कमल डागर भोपाल के अपने गूगल मैप हैं। कमल डागर भोपाल में प्रवेश करने वाले सभी ट्रक ड्राइवर और सामान लाने वाले वाहनों के लिए एक तरह से गूगल मैप का काम करते हैं। वे ट्रक ड्राइवर के साथ आगे केबिन में बैठकर ट्रकों को गंतव्य तक छोड़ते हैं। कमल गाइड के नाम से लोकप्रिय कमल डागर दिन के समय पप्पू ढाबे में लोगों को भोजन बनाने का काम करते हैं और रात को यह अपने तरह के गूगल मैप बन जाते हैं।
भोपाल शहर में सामान लाने वाले बड़े-बड़े वाहन और ट्रक जब शहर में प्रवेश करते हैं तो उन्हें स्थानीय गलियां और सड़कें समझ में नहीं आती। ट्रक ड्राइवर और ट्रक पर मौजूद स्टाफ की जिम्मेदारी सामान को गंतव्य तक छोड़ने की होती है। यह सामान कई बार खाने का पदार्थ होता है, कई बार निर्माण सामग्री होती है, कई बार घरों में लगने वाले परदे और फर्नीचर होते है, कई बार फैक्ट्री में काम आने वाला कच्चा माल होता है, कई बार एक स्थान से दूसरे स्थान पर ट्रांसफर होने वाले अधिकारी कर्मचारियों की घर गृहस्थी होती है ।
इसी तरह इन ट्रकों में भांति-भांति का सामान एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचता है। बड़े वाहन चलाने वाले ट्रक ड्राइवरों को बड़े शहरों के बीच के रास्ते तो बहुत अच्छे से मालूम होते हैं, लेकिन जब भी शहर के अंदर घुसते हैं तो उन्हें स्थानीय गलियों सड़कों चौराहों और वन वे ट्रैफिक की जानकारी नहीं होती। बस इसी में से गंतव्य तक पहुंचाने का काम कमल डागर करते हैं।
कमल डागर यह काम एक रोजगार के रूप में करते हैं। हर आने वाले ट्रक को शहर के भीतर गंतव्य तक पहुंचाने के लिए वे प्रति वाहन ₹500 चार्ज करते हैं। कमल डागर ने जोशहोश मीडिया को बताया कि हर रात में एक या दो ट्रक को अपने गंतव्य तक ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह काम उनके अलावा सीहोर जिले के कुछ और लोग भी करते हैं जो टोल टैक्स पर बैठे रहते हैं।
यह लोग उन ट्रक ड्राइवरों के लिए सुविधा उपलब्ध कराते हैं जो जल्दी से सामान छोड़कर बिना परेशानी में फंसे वापस लौटना चाहते हैं। ऐसा करने से ट्रक ड्राइवरों का महत्वपूर्ण समय ईंधन बचत है और परेशानी से छुटकारा हो जाता है।
यह कार्य कमल डागर के लिए उनकी दैनिक जीवन में अतिरिक्त आमदनी का जरिया है। दिन में वे पप्पू ढाबे पर काम करते हैं और रात भर ढाबे में ही इंतजार करते हैं कि कोई ट्रक वाला आए और उनकी सेवाएं ले। पिछले 10 वर्षों से वे यह कार्य कर रहे हैं, इस बीच उनके बहुत से ट्रक वालों से संबंध बन गए हैं जो आने से पहले ही उन्हें अलर्ट कर देते हैं।
सही है आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। जब वाहन चलाने वालों को शहर में भीतर सड़कें खोजने में दिक्कत होने लगी तो उन्होंने स्थानीय व्यक्ति को साथ रखने का तरीका निकाल लिया। नए जमाने में गूगल के आने के बाद भी शहरों की गलियां और वन वे कई बार वाहन चालकों को भ्रमित कर देते हैं। इसी का हल निकाला है कमल डागर जैसे लोगों ने। जो आज कई ट्रक चालकों के काम आ रहा है। इससे ट्रक चालकों को सुविधा मिल जाती है और कमल डागर जैसे लोगों की अतिरिक्त आमदनी हो जाती है।