मजदूर या मजबूर : पूरे देश में मध्यप्रदेश देता है सबसे कम मजदूरी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि - यह आपकी विफलताओं का स्मारक है।
Sangam Dubey
भोपाल (जोशहोश डेस्क) केंद्र सरकार ने हाल ही में मनरेगा के रेट को रिवाइज करते हुए न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि की है। इसके साथ ही मध्यप्रदेश में मनरेगा की न्यूनतम मजदूरी 190 रुपए से बढ़ कर 193 रुपए प्रति दिन हो गई है। न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोत्तरी के बाद भी मध्यप्रदेश अन्य राज्यों की तुलना में सबसे पीछे है।
बता दें कि मध्यप्रदेश में मनरेगा के मजदूरों को अन्य राज्यों की तुलना में सबसे कम न्यूनतम मजदूरी मिलती है। यहां न्यूनतम मजदूरी 193 रुपए है। वहीं सबसे ज्यादा मजदूरी हरियाणा के मजदूरों को मिलती है। हरियाणा के मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी 315 रुपए है।
200 से कम न्यूनतम मजदूरी वाले राज्य
मध्यप्रदेश के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों के मजदूरों को भी 200 से कम मजदूरी मिलती है। इसमें झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार शामिल हैं। वहीं उत्तरप्रदेश में मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी 204 रुपए है।
देश में मनरेगा की न्यूनमत मजदूरी एक समान नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मुहैया कराने के लिए केंद्र की तात्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने काम के बदले अनाज देने की योजना शुरू की थी। इस योजना में मजदूरों को काम करने के लिए मजदूरी के बदले अनाज दिया जाता था। 2 अक्टूबर, 2005 में केंद्र की मनमोहन सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत मनरेगा शुरू की थी। लेकिन वर्तमान में केंद्रीय योजना होने के बाद भी इसके तहत काम करने वाले सभी राज्यों के मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी एक समान नहीं है।
भारत के अलग-अलग राज्यों में न्यूनतम मजदूरी
आंध्र प्रदेश- 245
झारखंड – 225
अरुणाचल प्रदेश-212
असम-224
बिहार-198
छत्तीसगढ़-193
गोवा- 294
गुजरात-229
हरियाणा-315
हिमाचल प्रदेश-गैर अनुसूचित क्षेत्र 203 और अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र 254
जम्मू और कश्मीर-214
लद्दाख-214
कर्नाटक-289
केरल-291
मध्य प्रदेश-193
महाराष्ट्र-248
मणिपुर-251
मेघालय-226
मिजोरम-233
नागालैंड-212
उड़ीसा-215
पंजाब-269
राजस्थान-228
सिक्किम-212
तमिलनाडु-273
तेलंगाना-237
त्रिपुरा-212
उत्तर प्रदेश-204
उत्तराखंड-204
पश्चिम बंगाल-213
अंडमान 279 और निकोबार-294
दादरा और नगर हवेली-269
दमन और दीव- 269
लक्ष्यदीप-266
पांडुचेरी-273
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि – यह आपकी विफलताओं का स्मारक है, और मैं गाजे-बाजे के साथ इस स्मारक का ढोल पीटता रहूंगा। वहीं कोरोनाकाल में लॉकडाउन के समय दुसरे प्रदेशों से लौटे प्रवासी मजदूरों को महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून (मनरेगा) ने काम दिया और रोजमर्रा जीवन चलाने में बड़ी भूमिका अदा की थी।