क्या सच थी 35-35 करोड़ लेकर विधायकों के BJP में जाने की बात?
दिग्विजय सिंह के सनसनीखेज आरोप के खिलाफ विधायकों का मानहानि का दावा खारिज, सोशल मीडिया पर उठा सवाल।
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) ग्वालियर के विशेष न्यायिक कोर्ट के फैसले के बाद 35-35 करोड़ लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायकों के भाजपा में शामिल होने की बात फिर सुर्खियों में आ गई है। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह द्वारा लगाए गए इस आरोप के खिलाफ विधायकों ने मानहानि का दावा तो किया लेकिन दावे को चलाने कोर्ट में विधायक पहुंचे ही नहीं, लिहाजा कोर्ट ने दावा खारिज कर दिया। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि दिग्विजय सिंह ने जो दावा किया था क्या वह सच था?
पीपुल्स समाचार की रिपोर्ट के मुताबिक विशेष न्याय मजिस्ट्रेट ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ दलबदल करने वाले विधायकों द्वारा लगाए गए मानहानि के दावे को खारिज करते हुए कहा कि परिवादी दावे को चलाना नहीं चाहते हैं, इसलिए उनकी ओर से कोई उपस्थित नहीं हो रहा है। ऐसे में सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहा है कि अगर विधायक मानहानि के इस दावे को चलाने के इच्छुक नहीं दिख रहे तो क्या दिग्विजय सिंह ने जो कहा था वो सच था?
प्रदेश की सियासत में मार्च 2020 में बड़ी उथल पुथल दिखाई दी थी। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। इसी दौरान तत्कालीन कमलनाथ सरकार के कुल 22 मंत्री व विधायक भी पार्टी बदलकर भाजपा में चले गए थे। कमलनाथ सरकार गिरने तक ये सभी बेंगलुरू के रिसोर्ट में रुके थे।
तब दिग्विजय सिंह ने ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक महेंद्र सिसौदिया, रक्षा सिरोनिया, मुन्नालाल गोयल समेत अन्य विधायकों पर 35-35 करोड़ रुपये में बिकने का सनसनीखेज आरोप लगाया था। दिग्विजय सिंह ने बाकायदा सोशल मीडिया पर 35 करोड़ के हिसाब से हर एक वोट की कीमत बताते हुए पोस्ट भी की गईं थीं। पोस्ट पर विरोध जताते हुए सिंधिया समर्थक महेंद्र सिंह सिसौदिया, रक्षा सिरोनिया, मुन्नालाल गोयल आदि ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ मानहानि का दावा किया था।
मानहानि का दावा विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट कोर्ट में लंबित था। इस केस में गवाही की तारीखें निर्धारित की लेकिन इन तारीखों पर ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक विधायकों की ओर से कोई उपस्थित ही नहीं हुआ। मानहानि दायर करने के बाद सभी परिवादी भूल गए और कोर्ट ने दावे को खारिज कर दिया।