रंग लाए प्रयास: बक्सवाहा जंगल की कटाई पर NGT ने लगाई रोक
एनजीटी ने आदेश में यह भी कहा कि बिना वन विभाग की अनुमति के बक्सवाहा में एक भी पेड़ न काटा जाए।
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) बक्सवाहा जंगल को बचाने शुरू किए गए प्रयास रंग लाते दिखने लगे हैं। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने बक्सवाहा के जंगल की कटाई पर गुरुवार को रोक लगा दी। साथ ही खनन कंपनी समेत अन्य पक्षकारों को चार सप्ताह में शपथ देते हुए जवाब देने को कहा है। एनजीटी ने अपने आदेश में यह भी कहा कि बिना वन विभाग की अनुमति के बक्सवाहा में एक भी पेड़ न काटा जाए।
एनजीटी ने मध्यप्रदेश के मुख्य वन संरक्षक को आदेश दिया है कि वन संरक्षण अधिनियम की धारा 2 में प्रदत्त गाइडलाइन का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाये। इसके तहत एक्सपर्ट कमेटी का गठन भी किया जाए। एनजीटी ने आदेश में मामले में पार्टी बनाए गए राज्य सरकार, केंद्र सरकार, वन विभाग, और हीरा खदान का ठेका लेने वाली निजी कंपनी को 4 सप्ताह जवाब प्रस्तुत करने के लिए कहा है। अगली सुनवाई 27 अगस्त 2021 को तय की गई है।
बक्सवाहा जंगल को कटने से बचाने के लिए पर्यावरण प्रेमियों द्वारा पांच जून को एनजीटी में याचिका दायर की थी। इसके बाद एनजीटी ने हीरा खनन योजना में शामिल बिड़ला ग्रुप की माइनिंग कंपनी को नोटिस जारी कर 15 दिन में जवाब मांगा था। एनजीटी ने जंगल कटने से होने वाले पर्यावरणीय प्रभाव की आकलन की रिपोर्ट भी माइनिंग कंपनी से तलब की थी।
एनजीटी की डबल बेंच में जस्टिस श्योकुमार सिंह व अरुण कुमार वर्मा ने संयुक्त रूप से यह फैसला सुनाया है। एलएलबी द्वितीय वर्ष के छात्र उज्ज्वल शर्मा द्वारा दायर एक याचिका व डॉ. पीजी पांडे द्वारा बक्सवाहा के जंगलों में अवैध कटाई को लेकर लगाई गई याचिका को मर्ज कर यह सुनवाई की गई थी।
गौरतलब है कि बक्सवाहा के जंगल की जमीन में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे दबे होने का अनुमान है। इन हीरों के लिए 382.131 हेक्टेयर का जंगल खत्म होने की आशंका है। वन विभाग के सर्वे में इस जमीन पर करीब 2 लाख 15 हजार 875 पेड़ हैं। इनमें करीब 40 हजार पेड़ सागौन के हैं।
बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत इस जगह का सर्वे 20 साल पहले शुरू हुआ था। प्रदेश सरकार द्वारा दो साल पहले की गयी इस जंगल की नीलामी में आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा बोली लगा यह जमीन 50 साल के लिए लीज पर ली है। कंपनी ने 382.131 हेक्टेयर का जंगल मांगा है। इसमे में 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र हीरे निकालने के लिए चिन्हित किया है। इस काम में कंपनी 2500 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।
देश भर में बक्सवाहा के जंगलों को काटने को लेकर विरोध के स्वर बुलंद हुए थे। सोशल मीडिया पर ‘सेव बकस्वाहा फाॅरेस्ट’ कैंपेन चलाया गया। मामला एनजीटी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंच गया है। दिल्ली की नेहा सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है।