पालक महासंघ ने स्कूल शिक्षा मंत्री को सौंपा ज्ञापन, निजी स्कूलों पर लगाया मनमानी का आरोप
Sangam Dubey
भोपाल (जोशहोश डेस्क) लॉकडाउन के बाद मध्यप्रदेश में स्कूल खुल गए हैं, लेकिन फीस विवाद को लेकर अभिभावक और स्कूल संचालक आमने-सामने हैं। पालक महासंघ ने मध्यप्रदेश में निजी और सीबीएसई स्कूलों द्वारा मनमाने तरीके से फीस लिए जाने का विरोध शुरू कर दिया है।
शुक्रवार को पालक महासंघ ने स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में निजी स्कूलों को निम्न निर्देश जारी करने की बात कही गई है।
बोर्ड परीक्षाओं को छोड़कर कक्षा 11 तक परीक्षा हेतु ऑनलाइन विकल्प भी उपलब्द कराया जाए जिससे बच्चे और पालक तनावमुक्त हो सकें।
स्कूलों द्वारा ली जा रही शिक्षण शुल्क को परिभाषित किया जाए, जिससे पालक वास्तविक शिक्षण शुल्क जमा कर सकें क्योंकि कुछ स्कूलों द्वारा शिक्षण शुल्क में भी सभी अन्य फीस जोड़कर लेने का दबाव बना रहे हैं।
माननीय सर्वोच्च न्यायलय द्वारा गांधी सेवा सदन राजसमंद एवं राजस्थान सरकार दिनांक 08.02.2021 को पारित अंतरिम आदेश में स्पष्ट किया गया है कि स्कूल बच्चों की फीस प्राप्त न होने पर भी परीक्षा एवं परिणाम से वंचित नहीं कर सकता। इस संबंध में आदेश जारी किए जाएं ताकि कोई भी छात्र परीक्षा से वंचित न हो।
पालक महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष कमल विशवकर्मा का आरोप है कि स्कूल संचालक राज्य सरकार एवं उच्च न्यायलय की गाइडलाइन एवं आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इसके अलावा अभिभावकों से ट्यूशन फीस के अलावा सभी मदों को जोड़कर फीस वसूली जा रही है। अभिभावकों का आरोप है कि उनकी बात जिला शिक्षा अधिकारी भी नहीं सुन रहे हैं।
यह है मामला
कोरोना की वजह से स्कूल बंद रहे हैं। नई गाइडलाइन में कक्षा 9वीं से लेकर 12वीं तक की क्लास को शुरू कर दिया गया है, लेकिन शेष क्लास इस सत्र में नहीं लगाए जाने का फैसला लिया गया है। हाईकोर्ट ने भई निजी स्कूल संचालको को पहले से तय सिर्फ ट्यूशन फीस लिए जाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सरकार न भी निजी स्कूल संचालकों को सिर्फ ट्यूशन फीस लेने के निरद्श दिए हैं। लेकिन पालक संघ का आरोप है कि स्कूल खुलने की वजह से अब स्कूल संचालक ट्यूशन फीस में लेट फीस जोड़कर फीस ले रहे हैं।