मध्यप्रदेश में पहली बार, निजी हाथों में गेहूं खरीद
मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूं खरीद को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। अब प्रदेश में पहली बार वेयरहाउस मालिक भी सीधे गेहूं खरीद कर सकेंगे।
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध के बीच मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूं खरीद को लेकर एक बड़ा फैसला लिया है। प्रदेश में अब गेहूं उपार्जन भी निजी हाथों में सौंपा जा रहा है। फ्री प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अब प्रदेश में पहली बार वेयरहाउस मालिक भी सीधे गेहूं खरीद कर सकेंगे।
मध्यप्रदेश सरकार के खाद्य और आपूर्ति विभाग के इस फैसले को केंद्रीय कृषि कानूनों के अमल की तैयारियों की तरह ही माना जा रहा है। अब तक प्रदेश में सहकारी समितियां ही गेहूं उपार्जन किया करती थीं। इसके अलावा सरकार भी एफपीओ (Farmars producers Organisation) के माध्यम से गेहूं खरीद किया करती है।
अब यह पहली बार है कि प्रदेश में वेयरहाउस के मालिक भी सीधे गेहूं खरीद कर पाएंगे। इसके लिए सरकार वेयरहाउस मालिकों को कमीशन भी देगी। इसका सीधा अर्थ यह है कि सहकारी समितियों को गेहूं उपार्जन पर मिलने वाले कमीशन में भारी कटौती होगी।
बताया जा रहा है कि न्यूनतम तीन हजार मीट्रिक टन क्षमता वाले वेयरहाउस मालिक ही गेहूं खरीद कर सकेंगे। जिला खरीद समिति के माध्यम से ही वेयरहाउस मालिक गेहूं खरीदी कर सकेंगे। गेहूं की गुणवत्ता को जांचने के लिए वेयरहाउस मालिकों को क्वालिट सर्वेयर नहीं नियुक्त करना होगा।
गेहूं उपार्जन को निजी हाथों में देने का एक अहम कारण परिवहन व्यव को कम करना बताया जा रहा है। वहीं सहकारी समितियों में गेहूं खरीदी में लगातार आ रही अनियमितताओं को भी इस निर्णय के पीछे एक कारण बताया गया है।
खाद्य और आपूर्ति मंत्री बिसाहू लाल साहू के मुताबिक प्राइवेट पार्टी को गेहूं खरीद में शामिल करने का उद्देश्य परिवहन लागत को कम करना है। मंत्री बिसाहू लाल ने यह भी कहा कि इस निर्णय से किसानों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं आएगी।
वहीं कांग्रेस इस निर्णय को किसान विरोधी बता रही है। पूर्व मंत्री गोविंद सिंह के मुताबिक गेहूं खरीद को वेयरहाउस मालिकों के हवाले करना पूरी तरह किसान विरोधी है। ऐसा होने से वेयरहाउस मालिक किसानों का शोषण करने लगेंगे। अगर प्राइवेट वेयरहाउस को खरीद सेंटर बनाया गया तो भ्रष्टाचार का दरवाजा खुल जाएगा।
गौरतलब है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं की खरीद में मध्यप्रदेश देश में प्रथम स्थान पर पहुंच चुका है। देश के सभी राज्यों द्वारा कुल गेहूं खरीद का 33 प्रतिशत खरीद मध्यप्रदेश में की गई है। पंजाब दूसरे स्थान पर है।’ पिछले वर्ष की तुलना में मध्यप्रदेश में गेहूँ उपार्जन में 74 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।