ग्रेडिंग-क्वालिटी के नाम पर किसानों से 256 करोड़ लूट की साजिश
गेहूं की गुणवत्ता मापने के बाद ही सरकारी केन्द्रों पर खरीद का माकपा ने किया विरोध।
Ashok Chaturvedi
भोपाल (जोशहोश डेस्क) प्रदेश के सरकारी खरीद केन्द्रों पर अगले महीने से गेहूं की खरीदी शुरू हो रही है। इस बार ग्रेडिंग मशीनों द्वारा गेहूं की गुणवत्ता मापने के बाद ही सरकारी केन्द्रों पर खरीद की जाएगी। ग्रेडिंग के लिए किसानों को ही प्रति क्विंटल 20 रुपए भुगतान करना होगा। बड़े जिलों में सरकारी केन्द्रों पर ग्रेडिंग मशीन लगाने के लिए नागरिक आपूर्ति निगम टेंडर जारी कर रहा है। शिवराज सरकार के इस कदम को किसानों से लूट की साजिश भी बताया जा रहा है।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने गेहूं की ग्रेडिंग को किसानों से 256 करोड़ रुपए लूट की साजिश बता प्रदेश सरकार पर निजी कंपनियों को उपकृत करनी का आरोप लगाया है। जसविंदर सिंह ने कहा कि सरकार ने किसानों की जेब से 256 करोड़ निकालकर निजी कंपनियों तिजोरी में डालने की व्यवस्था कर दी है।
जसविंदर सिंह ने कहा कि ग्रेंडिंग और क्वालिटी निर्धारित करते समय कंपनियां किसानों से सौदेबाजी तक करेंगी। अच्छी क्वालिटी और जल्दी तुलाई का झांसा देकर किसानो से और भी वसूली की जाएगी। यह मंडियों के निजीकरण करने की साजिश का भी हिस्सा है जिसके खिलाफ किसानों ने सवा साल तक संघर्ष कर मोदी सरकार को पीछे हटने के लिए बाध्य किया था।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार इस बार उत्तरप्रदेश सरकार की तर्ज़ पर सभी 3500 खरीदी केंद्रों पर यह व्यवस्था अनिवार्य करने जा रही है। खाद्य सिविल आपूर्ति और उपभोक्ता संरक्षण विभाग के अधिकारियों के मुताबिक़ पहले भी खरीदी केंद्रों पर गेहूं की ग्रेडिंग लगाने की व्यवस्था थी, लेकिन ये अनिवार्य नहीं था। अधिकारियों के मुताबिक़ पहले गेहूं में कचरा, मिट्टी आदि होने की आशंका में ग्रेडिंग का विकल्प इस्तेमाल किया जाता था लेकिन, इसमें भ्रष्टाचार की संभावना रहती थी। दूसरी ओर खराब गेहूं पीडीएस दुकानों पर पहुंचने पर विवाद की स्थिति भी बनती थी। इसलिए इस बार से खरीदी केंद्रों पर ग्रेडिंग और सफाई का काम कराया जाएगा।