PM केयर के वेंटिलेटर से डाॅक्टर ही त्रस्त, MP में साबित हो रहे ‘कबाड़’

मध्यप्रदेश में पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर्स में से अधिकांश का उपयोग ही नहीं हो पा रहा है।

भोपाल (जोशहोश डेस्क) कोरोनाकाल में पीएम केयर के फंड से खरीदे गए वेंटिलेटर्स प्रारंभ से ही सवालों के घेरे में हैं। मध्यप्रदेश में पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर्स में से अधिकांश का उपयोग ही नहीं हो पा रहा है। यहां तक कि राजधानी भोपाल के हमीदिया अस्पताल के डाॅक्टरों ने तो बकायदा पत्र लिख कर इनके उपयोग पर मरीजों की मौत की आशंका तक जताई है।

राजधानी के हमीदिया अस्पताल में कुछ दिनों पहले पीएम केयर से मिले वेंटिलेटर के अचानक बंद होने से एक मरीज की मौत की खबर तक सामने आई थी। लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने इसे वेंटिलेटर बंद होने से मौत मानने से इंकार कर दिया था।

अब एनडीटीवी की एक रिपोर्ट ने इस मामले में अहम खुलासा किया है। रिपोर्ट में एक पत्र का हवाला दिया गया है। यह पत्र मरीज की मौत से कुछ दिन पहले ही डाॅक्टरों ने अस्पताल प्रबंधन को लिखा था। पत्र में डाॅक्टरों ने साफ लिखा है कि पीएम केयर फंड से मिले वेंटिलेटर गड़बड़ हैं, न ऑक्सीजन फ्लो आता है, न प्रेशर बनता है, चलते-चलते मशीन बंद हो जाती है। ऐसे में मरीज की जान बचाना मुश्किल है।

रिपोर्ट के मुताबिक चार संभागों के पांच बड़े अस्पतालों में पीएम केयर से मिले वेंटिलेटर उपयोगी साबित नहीं हो पा रहे हैं। सागर के बुंदेलखंड मेडिकल काॅलेज में पीएम केयर से मिले 72 वेंटिलेटर में से केवल पांच का ही कोविड आईसीयू वार्ड में इस्तेमाल हो रहा है जबकि अन्य स्टोर में धूल खा रहे हैं। यहां भी बीते 28 दिसंबर को पीएम केयर से मिले वेंटिलेटर में शार्ट सर्किट का मामला सामने आया था।

शहडोल के जिला अस्पताल में पीएम केयर से 24 वेंटिलेटर मिले हैं लेकिन इनका भी उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसका कारण ऑपरेशनल दिक्कत बताया जा रहा है। वहीं अलीराजपुर को मिले चार वेंटिलेटर भी शो पीस बने हुए हैं क्योंकि यहां ट्रेंड फिजीशियन ही नहीं हैं।

वहीं कटनी को पीएम केयर से दो वेंटिलेटर मिले हैं लेकिन ये भी काम नहीं कर रहे क्योंकि इनका इन्स्टालेशन होना साल भर बाद भी बाकी है। यही हाल अशोकनगर का है। यहां मुंगावली अस्पताल को मिले वेंटिलेटर भी ताले में बंद हैं।

गौरतलब है कि कोरोनाकाल में पीएमकेयर फंड से करीब दो हजार करोड़ में 50 हजार वेंटिलेटर खरीदने की बात कही गई थी। इन वेंटिलेटर की खरीद में घोटाले का आरोप भी केंद्र सरकार पर लग चुका है। वहीं यह भी सामने आई थी कि अनुभवहीन कंपनियों को भी वेंटिलेटर बनाने का काम दिया गया था।

वहीं जब ये वेंटिलेटर राज्यों में पहुंचे तो इनके खराब होने की शिकायतें आनी शुरू हो गई थीं। गुजरात में भी डाॅक्टरों ने यह शिकायत की थी कि ये वेंटिलेटर मानक स्तर के नहीं हैं। वहीं ऐसी ही शिकायतें राजस्थान और छत्तीसगढ से भी सामने आ चुकी हैं।

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