Jhabua News : जल्द ही मध्यप्रदेश की ‘आदिवासी गुड़िया’ को मिलेगा GI टैग…
जीआई टैग एक भौगोलिक संकेत है। जिसका उपयोग उत्पाद की उत्पत्ति या निर्माण के भौगोलिक क्षेत्र को दर्शाने के लिए किया जाता है।
Sangam Dubey
Aadivasi Gudiya Photo Credit : @snehiil
भोपाल (जोशहोश डेस्क) झाबुआ की “आदिवासी गुड़िया” को जल्द ही विश्व प्रसिद्ध दार्जिलिंग चाय, गोवा की फेनी और महाराष्ट्र की अल्फांसो भैंसों जैसे जीआई-टैग वाले उत्पादों की सम्मानित सूची में जगह मिल सकती है। आदिवासी गुड़िया मध्यप्रदेश के भील और भिलाला आदिवासियों की विरासत है। जो कि दूसरे 53 अन्य उत्पादों के साथ केंद्र सरकार की जियोग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indication) टैग की संभावित सूची में शामिल है।
जनजातीय मामलों के मंत्रालय के तहत भारत के आदिवासी सहकारी विपणन विकास महासंघ ने प्रामाणिक पारंपरिक आदिवासी उत्पादों के लिए एक बाजार बनाने का लक्ष्य रखा है। जिसके लिए ऐसे 54 उत्पादों की पहचान है, जो जियोग्राफिकल इंडिकेशन (Geographical Indication) टैग पा सकते हैं।
क्या है आदिवासी गुड़िया
आदिवासी गुड़िया मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भील और भिलाला जनजातियों द्वारा बनाई जाती है। यह उनकी विरासत भी है। गुड़िया बनाने की कला आदिवासियों की आजीविका में भी योगदान करती है। आदिवासी इन गुड़ियों को कई रंगों में से सजाते हैं। इन्हें अलग-अलग तरहों की पोशाकों से तैयार किया जाता है। जैसे इन्हें आदिवासी शादी की पोशाक, पारंपरिक कपड़े और चांदी के आभूषणों पहनाए जाते हैं।
इसके साथ ही गुड़ियों की सजावट के लिए उनके साथ-साथ उपयोगी सामान जैसे बांस की टोकरियां और मिट्टी के बरतन भी इनके साथ बनाए जाते है। अक्सर लोग इन गुड़ियों को उपहार के लिए खरीदते हैं।
क्या है जीआई टैग
जीआई टैग एक भौगोलिक संकेत है। जिसका उपयोग उत्पाद की उत्पत्ति या निर्माण के भौगोलिक क्षेत्र को दर्शाने के लिए किया जाता है। आदिवासी गुड़िया की ही तरह संभावित सूची के दुसरे उत्पादों में उच्च गुणवत्ता वाली पश्मीना याक ऊन और हिमाचल प्रदेश का बांस और राजस्थान के बांसवाड़ा में भील जनजाति के द्वारा बनाए गए तीर शामिल हैं। इस सूची में मणिपुर की काली लोंगपी मिट्टी के बर्तन और काले चावल, पारंपरिक हिमाचली टोपी, लाहौली मोजे और छत्तीसगढ़ से बांस की बांसुरी भी शामिल हैं।
ट्राइब्स इंडिया स्टोर खोलने की तैयारी
आदिवासियों द्वारा बनाए गए इन उत्पादों की कहानियां भी होती हैं। संस्कृति मंत्रालय जीआई ट्राइब्स इंडिया के स्टोर खोलने की भी तैयारी कर रहा है। इसके लिए टीआरआईएफईडी ने आठ हेरिटेज स्थानों की पहचान की है। उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इन स्थानों पर काम शुरू हो जाएगा।