भोपाल (जोशहोश डेस्क) अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने राफेल घोटाले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका को स्पष्ट करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बहुत सी सच्चाई जनता के सामने है, लेकिन कुछ तत्व जो अभी जनता के सामने नहीं आए हैं। जो घटनाक्रम सामने आये हैं उसे देखते हुए पूरे मामले की जांच की संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) से इस मामले की जांच करानी चाहिए। सुप्रिया श्रीनेत ने यह बात मंगलवार को भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही।
उन्होंने कहा कि 4 अक्टूबर 2018 को भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा सीबीआई के पास राफेल घोटाले की शिकायत करने गए थे। मारीशस ने 11 अक्टूबर 2018 को राफेल घोटाले में हुई दलाली को लेकर सीबीआई को विस्तृत जानकारियां भेजीं। सीबीआई इन दस्तावेजों पर कार्यवाही करने ही वाली थी। तभी 23 अक्टूबर 2018 को सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा को रातों-रात पद से हटा दिया गया और तख्तापलट कर उनकी जगह नागेश्वर राव को सीबीआई का निदेशक बना दिया गया।
श्रीनेत ने कहा कि इन तीनों घटनाओं को मिलाकर देखें तो साफ लगता है कि सीबीआई राफेल घोटाले की सही दिशा में जांच ना कर सके, इसीलिए मोदी सरकार ने अप्रत्याशित और अभूतपूर्व कदम उठाते हुए रातों-रात सीबीआई निदेशक को उनके पद से हटा दिया।
दलाल सुसेण गुप्ता के घर रेड को लेकर भी सुप्रिया श्रीनेत ने सवाल उठाये। उन्होंने कहा कि इन तीन घटनाओं के बाद 16 मार्च 2019 की तारीख महत्वपूर्ण है। इस दिन दलाल सुसेण गुप्ता के घर पर प्रवर्तन निदेशालय ने रेड डाली और वहां से पांच महत्वपूर्ण दस्तावेज हासिल किए। यह दस्तावेज सीधे तौर पर राफेल की खरीद से जुड़े हुए थे जो भारत सरकार के अत्यंत गोपनीय दस्तावेज थे।
सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि सवाल यह उठता है कि एक बिचौलिए के पास इस तरह के दस्तावेज कैसे पहुंचे? यह वही बिचौलिया है जो अगस्ता वेस्टलैंड डील में जेल जा चुका है। यहां यह भी याद रखिए कि मोदी सरकार ने अगस्ता वेस्टलैंड को ब्लैक लिस्टेड कंपनियों की सूची से हटा दिया है, जबकि यूपीए सरकार ने इस कंपनी को ब्लैक लिस्टेड किया था।
श्रीनेत ने कहा कि सीबीआई निदेशक को रातों-रात हटाना, मॉरीशस से राफेल दलाली के बारे में कागजों का आना। रक्षा सौदों में दलाली करने वाले एक व्यक्ति के पास से राफेल सौदे से जुड़े अत्यंत गोपनीय दस्तावेजों का मिलना और इस सब के बाद भारत सरकार का और खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस विषय पर चुप्पी साध लेना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आड़ में छुप रही सरकार
कांग्रेस प्रवक्ता श्रीनेत ने आरोप्प लगाया कि भारत सरकार जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की आड़ में छुपना चाहती है। जब सुप्रीम कोर्ट ने राफेल के संबंध में याचिका पर अपना फैसला दिया था उस समय यह तथ्य सुप्रीम कोर्ट के सामने नहीं रखे गए थे लेकिन इन तथ्यों के सामने आने के बाद सच्चाई बदल चुकी है। आज फ्रांस की अदालत भी राफेल के मामले पर सुनवाई कर रही है। इन सब बदली हुई परिस्थितियों को देखते हुए भारत सरकार को तत्काल संसद की संयुक्त समिति जेपीसी से इस मामले की जांच करानी चाहिए।
याद दिलाया पूर्व का घटनाक्रम
राफेल के पूर्व के घटनाक्रम को याद दिलाते हुए श्रीनेत ने कहा कि आप सबको राफेल का घटनाक्रम पता है कि किस तरह से यूपीए सरकार में राफेल विमानों की खरीद हो रही थी, जो समझौता उस समय नहीं हो सका। उसके बाद नरेंद्र मोदी सरकार केंद्र में बनी और उसने 126 की जगह 36 विमान खरीदे। यूपीए के समय एक विमान की कीमत 570 करोड़ रुपए आ रही थी, उन्हीं विमानों को नरेंद्र मोदी सरकार ने 1670 करोड रुपए प्रति विमान की दर से खरीदा।
जांच से क्यों भाग रहे प्रधानमंत्री
श्रीनेत ने कहा कि राहुल के मामले में एक के बाद एक जो सच्चाई सामने आ रही हैं वह देश की सुरक्षा के लिए बहुत गंभीर खतरा हैं। मैं केंद्र सरकार से सवाल पूछना चाहती हूं, मॉरीशस से जो कागजात आए उस पर सीबीआई डायरेक्टर क्या काम कर रहे हैं? प्रवर्तन निदेशालय ने छापे में जो कागजात जप्त किए थे उन पर क्या कार्यवाही की जा रही है? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राफेल की जांच से क्यों भाग रहे हैं? और राफेल घोटाले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की क्या भूमिका है? यह देश को बताया जाना चाहिये।