बकस्वाहा में जंगल बचाने का अभियान चलाने वालों को VD शर्मा ने बताया वामपंथी
वीडी शर्मा के मुताबिक बकस्वाहा के जंगल को लेकर अभी शासन ने कोई आदेश जारी नहीं किया है।
Ashok Chaturvedi
छतरपुर (जोशहोश डेस्क) छतरपुर जिले के बकस्वाहा में जंगल काटे जाने का विरोध देश भर में हो रहा है। इस विरोध को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने वामपंथी विचारधारा से प्रेरित बताया है और कहा कि प्रोजेक्ट से स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।
वीडी शर्मा ने कहा कि बकस्वाहा प्रोजेक्ट का विरोध करने वाले जो लोग जंगल बचाने का अभियान चला रहे हैं। वे वामपंथी विचारधारा के हैं। इन लोगों ने हमेशा ही देश के विकास में रोड़े डालने का काम किया है।
वीडी शर्मा ने यह बात राष्ट्रीय हिंदी मेल को दिए साक्षात्कार में कही है
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा के मुताबिक बकस्वाहा के जंगल को लेकर अभी शासन ने कोई आदेश जारी नहीं किया है। सरकार जो भी काम करती है नियमों के तहत ही करती है। बकस्वाहा के जंगल में कितने पेड़ काटे जाएंगे इसका निर्धारण नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) द्वारा किया जाएगा और हीरा खनन से यहां प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
दूसरी ओर जंगल के लिए अभियान चलाने वालों को वामपंथी बताए जाने का विरोध भी सोशल मीडिया पर दिखा-
गौरतलब है कि देश भर में बकस्वाहा के जंगलों को काटने को लेकर विरोध के स्वर बुलंद हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर ‘सेव बकस्वाहा फाॅरेस्ट’ कैंपेन चल रहा है। करीब 50 से ज्यादा स्वयंसेवी संस्थाएं जंगल काटे जाने के विरोध में एकजुट हो चुकी हैं। यह उम्मीद जताई जा रही है कि कोरोना का कहर थमते ही बकस्वाहा को बचाने का आंदोलन और तेज हो जाएगा।
बकस्वाहा के जंगल की जमीन में 3.42 करोड़ कैरेट हीरे दबे होने का अनुमान है। इन हीरों के लिए 382.131 हेक्टेयर का जंगल खत्म होने की आशंका है। वन विभाग के सर्वे में इस जमीन पर करीब 2 लाख 15 हजार 875 पेड़ हैं। इनमें करीब 40 हजार पेड़ सागौन के हैं।
इधर यह पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के साथ ही एनजीटी तक भी पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली की नेहा सिंह ने याचिका दायर की है। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने मंजूर कर लिया है। वहीं एनजीटी ने भी एक जनहित याचिका पर सरकार से जवाब तलब किया है।
बंदर डायमंड प्रोजेक्ट के तहत इस जगह का सर्वे 20 साल पहले शुरू हुआ था। प्रदेश सरकार द्वारा दो साल पहले की गयी इस जंगल की नीलामी में आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सबसे ज्यादा बोली लगा यह जमीन 50 साल के लिए लीज पर ली है। कंपनी ने 382.131 हेक्टेयर का जंगल मांगा है। इसमे में 62.64 हेक्टेयर क्षेत्र हीरे निकालने के लिए चिन्हित किया है। इस काम में कंपनी 2500 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है।