प्रदेश की भाजपा-कांग्रेस में ईवीएम बनाम मतपत्र पर तकरार
मध्यप्रदेश में आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही कांग्रेस और भाजपा में मतदान के तरीके को लेकर तकरार तेज हो गई है।
Ayushi Jain
भोपाल (जोशहोश डेस्क) मध्यप्रदेश में आगामी समय में होने वाले नगरीय निकाय के चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही कांग्रेस और भाजपा में मतदान के तरीके को लेकर तकरार तेज हो गई है। कांग्रेस जहां मतदान मतपत्र से कराए जाने की मांग कर रही है, वहीं भाजपा का कहना है कि कांग्रेस को अपनी हार करीब दिख रही है, इसलिए वह हार के बहाने अभी से खोजने लगी है।
राज्य में नगरीय निकाय के चुनावों की भाजपा और कांग्रेस दोनों ही तैयारियों में लगे हुए हैं। नेताओं की बैठकों का दौर जारी है, दौरे हो रहे हैं, सक्षम उम्मीदवार की तलाश के लिए जमीनी रिपोर्ट मंगाई जा रही है। दोनों ही दलों के लिए यह चुनाव काफी अहम हैं, क्योंकि किसान आंदोलन और बढ़ती महंगाई जैसे दौर में हो रहे हैं।
चुनाव से पहले हर बार मतदान ईवीएम से हो या मतपत्र से इसको लेकर दोनों दलों में तकरार होती रही है, इस बार भी नगरीय निकाय के चुनाव से पहले वही हो रहा है। कांग्रेस ने मतदान मतपत्र से कराए जाने की मांग की है। पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष कमल नाथ का कहना है कि प्रदेश में जितने भी चुनाव ईवीएम मशीन से सम्पन्न हुए हैं, सभी में ईवीएम मशीनों की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लगा है।
वहीं भाजपा ने कांग्रेस की मतपत्र से मतदान कराए जाने की मांग पर तंज कसा है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का कहना है कि, “भ्रम, छल, कपट की राजनीति करने वाले, झूठ बोलने वाले मिं. बंटाधार चुनाव आयोग जाकर ईवीएम की खराबी बता रहे हैं। कह रहे हैं कि बैलेट पेपर से चुनाव होना चाहिए। वास्तव में कांग्रेस वह राजनीतिक दल है जो अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। दिग्विजय सिंह वह नेता है जो खुद कहते हैं कि मेरे जाने से कांग्रेस के वोट कट जाते हैं। कांग्रेस को गुजरात के नगरीय निकाय के चुनाव के नतीजों से डर सताने लगा है और वह अभी से हार के बहाने खोजने लगी है।”